Skip to main content
Learning and DevelopmentNarrative ChangeYUVA

#YUVA35: YUVA Meri Nazar Mein Part 2

By August 29, 2019December 24th, 2023No Comments

With YUVA’s 35th founding day right around the corner, we share with you the second instalment of YUVA Meri Nazar Mein, packed with people’s reflections and experiences about YUVA and their association with the organisation over 35 years.

माझी आदर्श युवा संस्था

युवाने ३५ वर्ष यशस्वीरीत्या पूर्ण केल्याबद्दल युवाला माझ्याकडून आणि माझ्या परिवाराकडून खुप खुप शुभेच्छा…

सामाजिक क्षेत्राचा कोणताही अनुभव नसताना युवामध्ये गेली २७ वर्ष कार्य करण्याची संधी मिळाली, ती केवळ माझ्या अनुभवातून व् माझे सर्व सहकारी कार्यकर्ते / कार्यकर्त्या यांच्यामुळेच. मी २७ वर्ष संस्थेत काम करण्याचे कारण देखिल तसेच आहे, कारण या संस्थेची मुल्ये फार फार मोहाची आहेत. माणुस घडवून त्याला स्वत:ची व् समाजाची जाणीव जागृती करून एक सच्चा कार्यकर्त्ता घडवन्याचे काम संस्था करते.

संस्थेची कार्य करण्याची पद्धत, कार्यकर्त्यांमधील सुसंवाद तसेच कोणी वरिष्ठ कोणी कनिष्ठ नसून सर्वांना एकाच प्रकारे वागणूक दिली जाते. या ठिकाणी संस्थापक म्हणून मीनार पिपळे यांचा मला खुप अभिमान वाटतो. त्यांनी संस्थेचा विस्तार तर केलाच पण कार्यकर्त्यांना कार्य करण्यासाठी वेगवेगळी साधनसामग्री, शिक्षण — प्रशिक्षण त्यांचे हित आणि सुरक्षा त्यांना उपलब्ध करुन दिली. एवढेच नव्हे प्रत्येक कार्यकर्त्याला आणि त्याच्या कुटुंबाला देखिल संभाळून घेण्याचे काम संस्थेने केले. बाहेर गावी कुठे कार्यक्रम असतील तर लहान मुलांना देखिल सोबत घेऊन त्यांची काळजी घेणे व् त्यांना आनंद देण्याचे काम संस्थेने वेळोवेळी केले. याचे कारण म्हणजे मीनार प्रत्येक प्रक्रिया बारकाइने हताळत असे. वार्षिक कार्यक्रम तारखेनुसार असायचे, त्यातून पण तातडीच्या कामांना प्राधान्य देणे हे मला खुप आवडायचे, त्यामुळे कार्यकर्त्याची ऊर्जा कधीच कमी होत नसायची. महिला दिवस, युवा वर्धापन दिन, पालक मेळावा, युवा मेळावा, मानव अधिकार दिवस, बालक मेळावा, इतर संस्थांच्या भेटी, पावसाळी सहल, युवा कार्यशाळा या सर्व गोष्टीतून खुप काही शिकायला मिळाले.

असो, संस्था मोठी होते तेव्हा नविन गोष्टी येतात, विचार येतात त्यावेळी सुद्धा सर्वांना समाविष्ट करून घेतले जाते. युवामध्ये प्रत्येक काम सर्वांना विश्वासत घेऊन केले जाते. युवा संस्था ही एक परिवारासारखी आहे यात बिलकुल शंका नाही. माझी ओळख ही देखिल युवा संस्थेमुळेच झाली.

मी रस्त्यावरील मुलांबरोबर काम करताना मी सर्वांचा काका झालो. सर्व लहान मुले मला रवि काका म्हणुनच ओळख़त असत. माझे अनुभव युवामध्ये खुप आहेत. परंतु सर्व काही शब्दात व्यक्त करता येण्यासारखे नाही. मला सर्वच कार्यकर्त्यांनी खुप सहकार्य केले आहे. युवाच्या सर्वच जुन्या आणि नव्या कार्यकर्त्यांना युवा संस्थेच्या ३५ व्या वर्धापन दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा.

Ravindra Pednekar, Former Staff, YUVA

युवा मेरी नजर में….!!

मैंने १६ अगस्त २०१० को युवा संस्था में अपने काम की शुरुवात की, इसके पहिले में CITU इस मजदूर युनियन के साथ जुड़ा था और लेबर कोर्ट में वकालत कर रहा था, चूँकि में छात्र आंदोलन से आया था और मुझमे सामाजिक संघर्ष के लिए काम करने का जजबा ज्यादा था इसलिए मैंने अपनी वकालत छोड़ने का निर्णय लिया और किसी सामाजिक संस्था के साथ जुड़ने का फैसला लिया और मै युवा के साथ जुड़ गया. दादर के नायगाव म्युनिसिपल स्कुल के कार्यालय में मेरा साक्षात्कार (Interview) हुवा. हालाकी मैंने वकालत की पढ़ाई की थी और सामजिक आंदोलन से जुड़ा था इसलिए NGO के दायरे में काम कर पाउँगा या नहीं इस बारे में मेरे अंदर काफी साशंकता थी पर मुझे भी काम की जरुरत थी इसलिए मैंने युवा के काम करने का फैसला लिया. इस साल १६ अगस्त २०१९ को मुझे युवा में ९ साल पुरे होंगे और मै ये दावे के साथ केहना चाहता हु मुझे अपने फैसले पर बिलकुल भी अफसोस नहीं है बल्कि मै ऐसे एक संस्था के साथ जुड़ा हु जिसका मुझे जिंदगीभर फ़क्र महसूस होगा.

युवा मेरी नजर में एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहा आप किताबी चीजों से परे होकर मानवी मूल्यों को सिखने की शिक्षा लेते है, ये मानवी मूल्य आप को जात-पात, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण और लिंग इस आधार पर होनेवाले विषमता से परे होकर इंसानियत के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते है. सामजिक समता और स्त्री पुरुष समानता सिर्फ अल्फाज नहीं है तो वो हमारे विचारधारा और समाज के प्रति हमारे व्यवहार का हिस्सा है ये युवा सिखाती है. समाज के जो शोषित लोग है, जो पिछड़े और वंचित है ऐसे तबके को सामजिक न्याय के दायरे में लाने के लिए हमारे जैसे सामजिक कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार और जवाबदेही बनाने का काम युवा निरंतर करती आयी है. युवा के ये मुल्य ही युवा को एक मिसाल की तरह समाज के सामने रखती है और युवा को बाकी सारे संस्थाओं से अलग बनाती है.

मेरी नजर में युवा की सबसे बेहतरीन खूबसूरती उसके कल्चर (संस्कृती) में है, जो हमारे देश के प्रगतशील विचारधारा के इतिहास को उजागर करती है, धर्मनिरपेक्ष और मानवी अधिकारों तथा आपसी रिश्तो को बढ़ावा देती है. इसी के साथ आप के पिछड़ी, रूढ़ीवादी, पितृसत्ताक सोच तथा विचारधारा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. “जिनके सवाल उनका नेतृत्व” ये युवा की बुनियाद है जो समाज की सेहभागीता, जनसंघटन, जनसंस्था और लोकगीत इन सभी भूमिका को और भी मजबूत तरीके से सामने लाती है. युवा का विश्वास है लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते है और अपना हक़ हासिल कर सकते है, इसी विश्वास को केंद्र पर रखकर युवा लोगों के साथ जुड़कर काम करती आयी है, उन्हें सक्षम करने में जुटी रही है, ताकि लोग अपनी लढाई खुद लड़ सके. इसके आगे भी युवा इसी तरह कार्यरत रहेगी.

मेरी नजर में युवा के अंदर जो जनवादी प्रक्रिया है वो भी युवा की खासियत है ऐसा मेरा मानना है. हालाकी काफी कम संस्थाओ में इस तरह की स्पेस होती है जहा लोग अपनी राय रख सके और संस्था की नीतियों पर चर्चा कर सके, अपनी भूमिका रख सके, जहा सामूहिक निर्णय और व्यक्तिगत जिम्मेदारी की नीती होती है, युवा उन संस्थाओ में से एक है. इन जनवादी प्रक्रियाओ को एक मिसाल के तौर पर हमें बरकरार रखना होगा.

युवा के ३५ वे साल के अवसर पर मै पूरी इमानदारी के साथ इस बात को रखना चाहता हु की इस ९ साल में युवा में मैंने काफी सिखा है, अपने क्षमताओ को विकसित किया है, युवा ने मुझे लोगो के साथ जुड़ने का मौका दिया है, ख़ास कर के बाल अधिकार के क्षेत्र में बाल अधिकार कार्यकर्ता के तौर पर अपनी खुद की पेहचान बनाने का मौका मुझे युवा में मिला, अलग अलग संस्था तथा व्यवस्थाओं के साथ काम करने का मौका मिला जिससे मेरे काम के दायरे बढ़ने में मदत मिली. काफी मुश्किल हालातों में भी युवा का साथ मेरे लिए महत्वपूर्ण रहा है. युवा के मूल्य, विचारधारा, व्यवसायिक दृष्टीकोन, खुली सोच का माहोल और युवा के साथी ये मेरे जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धी है और यही कारण है की मै पिछले ९ साल से युवा के साथ जुड़ा हु.

सामाजिक परिवर्तन या सामाजिक बदलाव बिना लडे, बिना संघर्ष के हासिल नहीं होता इस सोच को लेकर युवा आगे बढ़ी है, बढ़ती रही है और आगे भी बढेगी, हम चाहे रहे ना रहे ये सोच बरकरार रहे इस उम्मीद को कायम रखना चाहिए…क्यों की एक महान शख्स ने कहा है “हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है पर जितने के लिए पूरी दुनिया है”

जिंदाबाद युवा…!!!

Vijay Kharat, Staff, YUVA

युवा संस्था ही सामाजिक काम करत आहे. युवासोबत आम्ही कमीत कमी १० वर्ष झाले काम करत आहोत. घर हक्क संघर्ष समितीच्या माध्यमातून आम्ही युवाबरोबर काम करत आहोत. काम करताना सामाजिक, आर्थिक प्रश्नात युवा संस्था हिरारिने पुढाकार घेते. आम्हाला काम करत असतांना अनेक गोष्टींमध्ये युवाचा पाठींबा मिळतो. नवी मुंबईत जवळजवळ ४२ झोपडपट्ट्या आहेत. त्यामध्ये लोकांना मुलभूत कागदपत्रे मिळावीत म्हणून युवा संस्था तळागाळात जाऊन काम करत आहे. आम्ही युवा संस्थेला आमचा एक आधारस्तंभ समजतो. युवा संस्था ही कोणतीही पक्षपाती भूमिका न घेता जनसामान्य लोकांसाठी निपक्षपातिपने काम करत आहे. युवाला आम्ही सर्वच एका चांगल्या दृष्टीकोनातून बघतो आहे. नाका कामगारांचे प्रश्न घेऊन युवा संस्थेने महाराष्ट्र शासनाकडून येणारा निधी नाका कामगारांपर्यंत पोहचावीन्यासाठी प्रयत्न केले. गोरगरीब लोकांसाठी युवाचा संघर्ष असाच चालत राहो, युवाचे काम असेच पुढे वाढत रहावे, युवाला मोठे यश लाभो यासाठी आम्ही घर हक्क संघर्ष समितीच्या वतीने शुभेच्छा देतो.

Khajamiyan Patel, Senior Activist, Ghar Haq Sangharsh Samiti

नागपुर के सबसे पिछड़े क्षेत्र उत्तर नागपुर की बस्तियों के विकास तथा मूलभूत नागरी सुविधा की मांग के लिए हमने ‘उत्तर नागपुर विकास आघाडी’ इस जनसंघटन का गठन करके १९८४ से सफल जनआंदोलन किया था. १९९० में यह आंदोलन शहर में चर्चा का विषय था. १९९७ में हमारे आंदोलन के संदर्भ में जानकारी लेने हेतु नागपुर युवा के साथी हमसे मिले, तब युवा के सहयोग से मुलभुत नागरी सुविधाए तथा आवास अधिकार पर व्यापक स्तरपर साथ काम करने का निर्णय लिया गया. उसी वक्त से २१ बरसों से यह सहयोग निरंतर कायम ही नहीं बल्की अधिक दृढ़ हुवा है.

नागपुरके पत्रकारिता में कार्यरत था. लोकसत्ता ( इंडियन एक्सप्रेस समूह ) में १९९१ से उपसंपादक का काम करता था. साथ ही आंदोलन में भी सक्रीय था १९९७ में उत्तर नागपुर विकास आघाडी जैसी शहर की विभिन्न सामाजिक संघटनाने मिलकर निवारा हक्क अभियान का ( आवास अधिकार अभियान ) गठन युवा की अगुवाई में किया गया. इस अभियानद्वारा आवास अधिकार पर बस्तियों में जनजागरण किया गया. मूलभूत नागरी सुविधापर जन चेतना फैलाने का काम शुरू किया गया. युवा ने शांतिनगर, सेवादल नगर में महिला बचत समूहों की मुहिम शुरू की थी. इस मुहिम को उत्तर नागपुर, दक्षिण नागपुरतक ले जाकर बचत समूह बनाने में हम सभी सफल हुए.

युवा के साथ बस्ती के कार्यकर्ता वर्ग के अनेक ट्रेनिंग कैंप लिए गए. कार्यकर्ता कार्यशाला के कारण कार्यकर्ता वर्ग की समझ बढ़ी, उनका उत्साह बढ़ा, कार्य करने की गति बढ़ी. अनेक कार्यक्रम में युवा ने जमीनीस्तर के कार्यकर्ता को सम्मीलित कर के दिशा देने का काम किया. निवारा हक्क अभियान ने आवास के मुद्दे के साथ ही बस्तियोंकी समस्याए, महिला बचत समूहों के गठन के साथ महिला सबलीकरण, बस्तिकी रेशनिंग व्यवस्था के सुधारपर १९९८ से २००३ तक कार्य किया. २००४ में शहर की अन्य सामाजिक संघटना,बस्तीस्तरीय संघटनाने मिलकर युवा के सहयोग से नागपुर शहर विकास मंच का गठन किया गया.

शहर विकास मंच ने २००४ से झोपड़पट्टी मालकी पट्टों के लिए संघर्ष किया. २०१५ में इस आंदोलन के फलस्वरूप मालकी पट्टे देने का निर्णय हुवा. इस संघर्ष को शहर के कार्यकर्ता वर्ग ने व्यापक स्तरपर लडा. बस्तीके कार्यकर्ता ने मालकी पट्टे झोपड़पट्टीवासियों को दिला देने में सफलता मिली है. इस सफलता के पिछे युवा का सहयोग महत्वपूर्ण है. शहर विकास मंच एक स्वतंत्र फोरम है. जिसमे विभिन्न संघटनाए सम्मीलित है. मंच के सभी निर्णय संयोजक मंडल के साथी मिलकर करते है. आज नागपुर में इस मंचको प्रतिष्ठा प्राप्त है. युवा ने नागपुर में महिला बचत समूहों को मिलाकर दो महिला बँक का निर्माण किया है. ये दोनो संस्थाए अपने बलबुते पर खडी है.

युवा संस्थाने अनेक समूहोंका निर्माण करने के उपरांत उन्हें पुरी तौर पर काम करने की स्वतंत्रता दी. बाद में उन्हें अपने बलबूते काम करने को प्रेरित किया. वे समूह,संस्थाए आज स्वतंत रूपसे सक्षमता के साथ काम कर रही है, यही युवा की विशेषता है. इसी कारण हमारे जैसे जमिनी कार्यकर्ता युवा के साथ २०-२२ साल से जुड़े हुये है.

Anil Wasnik, Convener, Shehar Vikas Manch (SVM)

“सफ़रनामा: युवा के संग आसेस ”

‘युवा’, जिसके व्यक्तित्व में ही संघर्ष, परिवर्तन, जूझारूपन, सच्चाई, सीखने-सीखाने की कला, स्नेह, विश्वास, सम्मान व अभिव्यक्ति शामिल है। हाँ, हम ‘युवा’ मुंबई वाले युवा की ही बात कर रहे हैं। जिनसे आदर्श सेवा संस्थान (आसेस) की पहली मुलाक़ात शायद एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में हुई थी। पहली मुलाक़ात, जिसमें आपसी परिचय, काम के मुद्दों पर बातचीत हुई, तो पता चला ‘युवा’ शहरी ग़रीबों के सम्पूर्ण अधिकार की प्राप्ति हेतु संघर्षरत है। यह जानकार अति प्रसन्नता हुई कि हम जिस काम को छोटे पैमाने पर झारखंड में कर रहे हैं उसके वृहद स्वरूप में युवा वर्षों से कार्यरत है।

झारखंड में इसके उपरांत सीखने-सीखाने की प्रक्रिया का आरम्भ हुआ। हमारे कई साथियों ने युवा मुंबई जा कर पाँच दिन रहकर शहरी मुद्दों पर अपनी समझ बनायी। आसेस के मुद्दों में घर का अधिकार का मुद्दा उस समय तक शामिल नहीं था। हम बच्चों के अधिकार पर काम कर रहे थे तथा अनुभव भी रखते थे। लेकिन “हर बच्चे को है उपयुक्त आवास का अधिकार” ये कथन हमने युवा से लौटकर आने के बाद अपने शब्दकोश में शामिल किया। हम जिन बाल-संगठनों के साथ लगातार काम कर रहे थे उनके मुद्दे में हमने आवास को शामिल किया। इसी के साथ हम घर के मुद्दों को गहराई से अपने संस्था के द्वारा किए गये मुद्दों में प्राथमिकता से शामिल किए। इसी के साथ हम लोगों ने घर के मुद्दे को गहराई से अपनी संस्था के द्वारा किए गये मुद्दों में प्राथमिकता से शामिल किया। इसी कड़ी में हम युवा के साथ पूरे विश्वास से आगे बढ़े।

जबरन बेदखली के दौरान यूं तो युवा ने हमें काफी संघर्ष से जुड़े प्रक्रियाओ का मार्गदर्शन किया परंतुसन २०११ में जब हाईकोर्ट के आदेशानुसार झारखंड में जबरन बेदखली का खेल प्रशासन के सहयोग से आरंभ हुवा उस दौरान कई शहरों में बेदखली किया गया तथा हजारों लोग सड़क पर आ गए थे, उस समय हमारे संघर्ष में युवा एक विश्वसनीय व मार्गदर्शक साथी के रूप में साथ खड़े रहे|

प्रत्येक शहर में जनसुनवाई की प्रक्रिया व कई शहरों में क़ानूनी प्रक्रिया को पुरा करने में युवा ने हमें मदत की, संघर्ष में कई शहरी मुद्दों पर काम करनेवाले संघटनो से भी जुड़ने का रास्ता बताया| इसी साथ वैसे दाता संस्था जो हमारे मुद्दों पर काम करते है, उनके साथ जुड़ने का रास्ता बताते हुए संस्था को समृद्ध बनने में सहयोग किया| साथ ही संस्था का प्रतिनिधित्व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर निभाने का मौका दिया| वैसे तो हम युवा के जिस साथी से जब भी मिले हमें बहोत सहयोग मिला परंतु कुछ साथियों ने लगातार हमारे क्षमता बढाने में सहयोग कियाजो सदैव हमें याद रहेगा|

हम आसेस परिवार यह मेहसूस करने के साथ साथ यह दिल से स्विकार करते है की शहरी गरीबों के मुद्दे खासकर आवास के मुद्दे पर युवा को हमने सबसे विश्वसनीय साथी के रूप में पाया है, जिनके साथ हम आगे भी पुरे विशवास के साथ चलने की अपेक्षा रखेंगे|

धन्यवाद सहित

आसेस परिवार

जमशेदपुर, झारखंड

Lakhi Das, Former Consultant, YUVA

My association with YUVA has been for around 9 years. I started my career with YUVA when it started its work in Nagpur. Working with and understanding YUVA’s work built and strengthened my understanding of the field. My perception changed and evolved as I participated in workshops, trainings, exposure visits, and discussions at the organisation. YUVA has definitely played a very important role in my overall self-development.

The lessons learnt while working with YUVA has stayed with me over the years. I have to say that, for me, YUVA has been synonymous with the name Mr. Minar Pimple. His golden words that I live by even today was that every staff member is valuable, even if he is no longer associated with YUVA, he is still contributing to society which is beneficial to the overall system, hence, investing in manpower is important.

YUVA’s contribution in my life has been both personal and professional. The experiences that I have gathered is truly unforgettable and something that I will cherish my whole life.

I congratulate YUVA on completing 35 successful years and I wish them all the very best for its upcoming journey ahead.

Bhavana Yadav, Former Staff, YUVA

YUVA would like to express heartfelt gratitude to all the people who have contributed to YUVA’s journey of 35 years.

For other instalments of the YUVA Meri Nazar Mein Series, see #1, #3, #4, #5

Leave a Reply