Youth for Unity and Voluntary Action (YUVA) completes 35 years since being founded on 30 August 1984. The organisation’s strength has always been the people — whether those who have worked at YUVA, interacted with us in communities, or even been a part of our larger supportive ecosystem. Each one has contributed and helped YUVA reach where it is today.
As we near our 35th founding day, we reached out to the people and asked them to reflect on YUVA — their experiences about the organisation, and much more. Presenting the first instalment of narratives …
सोशल ट्रांसफॉर्मेशन के 35 साल
युवा संस्था में इतने साल काम करते वक्त मुझे काफी सिखने को मिला, अगर आपकी काम के प्रति निष्ठा है तो युवा में आप कोई भी पोजिशन में हो आपको काम करने का पूरी तरह फ्रीडम है, युवा में किसी भी काम को मैक्रो to माइक्रो देखने का नजरिया, लोकल to ग्लोबल लिंकेजेस लगाने की क्षमता है, कोई भी मुद्दों को एक साथ जनजागृती से जनवकालत तक जनसंघटन से संसंस्थाओ का निर्माण और विकसित करने के साथ वंचित समूहों के अधिकार के लिये संघर्ष करते हुये उनके लिये सार्वजनिक और सामूहिक संपत्ती का निर्माण करके विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाने की दृष्ट्री है. सबसे महत्व पूर्ण बात विकास सिर्फ व्यक्ति और समाज के आर्थिक वुद्धि होने से नही होता तो लोगो के आपस के व्यवहार का आधार क्या है, समानता भरा है या शोषणभरा है इस पर निर्धारित होता है. यह समझ बढ़ाने का काम महत्वपूर्ण है इन सब पर संस्था ने मेरी समझ बढाई है लेकिन ऐसे हजारों कार्यकर्ताओं को तैयार किया है .
युवा आज बालअधिकार, शहरी अधिकार के सवाल, युवा वर्गों के साथ, आजीविका के सवाल पर कार्य करनेवाली देश के कुछ गिने चुने संस्था में एक महत्वपूर्ण संस्था करके खड़ी है.
Raju Bhise, Former Director, YUVA
खर तर युवाचा आणि माझा सबंध युवाच्या स्थापनेपासून आहे. धारावी असेल, कुर्ला असेल, जोगेश्वरी असेल या ठिकाणी काम करून युवाशी घनिष्ठ सबंध निर्माण झाले. मीनार माझा चांगला मित्र आहे, तेव्हापासून आम्ही एकत्रित काम करत होतो. एकुणच, एन. जी. ओ. च्या बाबतीत माझं वाईट मत होतं, कारण धारावी सारख्या वसाहतीत अनेक कागदी संस्था जन्माला येतात आणि गरीबी विकण्याचा धंदा करत होत्या. मीनार आणि आम्ही त्याकाळात धारावी मध्ये एकत्रित आलो. त्यावेळी मी मीनारला सांगितले की, मी नोकरी करत असल्याने मी तुमच्या व्यवस्थापन प्रक्रियेत येणार नाही पण आपण एकत्रित काम करू. त्या काळात मिनार म्हणजे पायाला भिंगरी लावून फिरणारा माणूस होता आणि त्यानेच युवाचा हा डोलारा उभा केला. धारावीत भटक्या विमुक्तांची संख्या मोठ्या प्रमाणात असल्याने त्या काळात भटक्या विमुक्तांना कायदेशीर सल्ला देणे, त्यांची एक मोठी परिषद भरविणे या गोष्टी युवाने केल्या. निवृतीनंतर मी पुन्हा घर हक्क संघर्ष समित्याच्या माध्यमातून युवाशी जोडलो गेलो. नवी मुंबई शहरात खारघर या ठिकाणी युवाचे कार्यालय आहे. त्या ठिकाणी चर्चा करून युवा आणि घर हक्क संघर्ष समितीने नवी मुंबईतील झोपड्यांचा प्रश्न हातात घेऊन कामाची वाटचाल सुरु केली. आत्तापर्यंत युवा आणि घर हक्क संघर्ष समिती मिळून मोठे ८-१० मोर्चे काढले. फेरीवाल्यांचे प्रश्न हातात घेतले. घरेलू कामगारांचे, नाका कामगारांचे प्रश्न हाती घेतले. युवा ही एक अशी संस्था आहे कि, जी अजून मोठी झाली आणि चांगले कार्यकर्ते मिळाले तर वाढणारी विषमता आपल्याला युवाच्या माध्यमातून कमी करता येईल. त्यामुळे मी आवाहन करेल कि, माझ्यासारख्या निवृत्त झालेल्या लोकांनी विना मोबदला युवा संस्थेशी जोडावे आणि काम करावे. त्यामुळे एक मोठे काम उभे राहण्यास मदत होईल. युवा ही नोंदणीकृत संस्था असल्याने काही बंधने संस्थेवर असतात पण माझ्यासारखे कार्यकर्ते युवाच्या सहकार्याने समाजात बिंधास्त काम करू शकतात. मला वाटत यातूनच आपण गरीब, वंचित लोकांना न्याय मिळवून देऊ शकतो.
जाता जाता एवढे सांगावेसे वाटते कि, युवासारखी संस्था ३५ वर्ष सातत्याने काम करत आहे. ३५ चे ७० वर्ष व्हावे आणि युवाचे काम संपूर्ण देशात उभे राहावे हीच सदिच्छा.
जिंदाबाद !
Hiraman Pagar, President, Ghar Haq Sangharsh Samiti
युवा माझ्या नजर मध्ये काय आहे?
साधारण 2002 मध्ये मला युवाकडुन फेलोशिप मिळाली तेव्हा पासुन आजपर्यंत युवामध्ये खुप काही शिकायला मिळाले. सुरुवातीला युवामध्ये आलो, त्यावेळेस मला थोडे कठिण गेले कारण बरीच कामे माझ्यासाठी नवीन होती. शासनप्रणाली सोबत काम करणे, माहिती अधिकार टाकणे, आपल्या हक्काबद्दल खडसुन बोलणे हे सारे मला नवे होते.
युवामध्ये आल्यापासून मला खुप नवीन गोष्टी शिकायला मिळाल्या. आपल्या समोरील लोकांबरोबर नाते संबंध प्रस्थापित करण्यापासून संवाद साधन्यापर्यंत मी अनेक गोष्टी शिकलो.
सध्याच्या तांत्रिक युगात, संगणक येणे अथवा शिकणे खुप गरजेचे आहे. युवाच्या माध्यमातून संगणक शिकण्याची प्रेरणा मिळाली, जी आयुष्यात मी कधी विसरणार नाही. युवा एका वंचित घटकाला आणि असंघटीत क्षेत्रातील कामगार यांना न्याय देणारी संस्था आहे. युवा कार्यकर्ते घडवीते आणि त्यांना सक्षम करुन जगायला शिकविते. एवढेच नव्हे, तर युवाची मुल्ये ही माणुस घडवण्यास कारणीभूत ठरतात. मी आज जो आहे तो युवामुळे आहे. म्हणुन माझ्यासाठी युवा हे एक विद्यापीठ आहे.
Jaysingh Randive, Staff, YUVA
मेरा नाम प्रमिला शर्मा है, १५ नवंबर २००२ से मै युवा से जुडी थी | युवा से जुड़ने से पहले मै महिला समाख्या, वाराणसी तथा उत्तर भारत के कई जिलों में महिलाओं के सवालों पर काम का अनुभव रखती थी इसीलिए मुझे युवा में चुना गया था | युवा में अलग अलग टीम के साथ, काम करने वाली शायद मै एक ही होउंगी, जिसने लगभग सभी टीम के साथ काम किया पीछे मुड़कर देख रही हूँ तो ऐसे लग रहा है की अभी की ही तो बात है पर कुल १३ साल मै युवा के साथ रही और बहुत कुछ अनुभव के पल संजोये है, जिन्हें याद करते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है|
युवा के साथ कार्य करते हुए मैं मानती हूँ की मुझे एक कार्यकर्ती के रूप में लोगों के बीच जाकर काम करने का, खुद की क्षमताओं को और विकसित करने का मौका मिला है | महिलाओं के मुद्दों पर एक नारीवादी सोच की समझ तो थी ही, पर शहरी गरीबों के प्रश्नों को मानव अधिकारों के मुद्दों के नजरिये से देखने और उनकी पैरवी करने की भूमिका को मै कर पायी | महिलाओं के घरेलु हिंसा से पीड़ित होने की कोई केस आती, तो मुझे सौपा जाता, उसे हल करने के लिए मेरी ओर से किये गए प्रयासों को युवा अंतर्गत काफी सराहा गया | साथ ही घरेलु हिंसा अधिनियम बनने में पुरे भारत भर में अभियान जोर ले रहा था, इसमें मुंबई स्तर पर कई बस्तियों में मुद्दे पर समझ बनाने हेतु और हस्ताक्षर अभियान चलाया गया | जब घरेलु हिंसा अधिनियम वास्तव में अमल में आया तब वह हमारे लिए एक जीत थी | महिला संघटनो में नेटवर्क में युवा की ओर से मुझे कई नेटवर्क के साथ जुड़ने का मौका मिला वह रिश्ता आज भी कायम है |
शहरी गरीबों के आवास, पानी, मुलभुत सुविधाओं के बारे में बात करने के लिए युवा अंतर्गत स्टाफ फोरम और स्टडी सर्कल ने हमारी समझ बनाने में अहम् भूमिका निभाई | महिला स्टाफ के लिए युवा अंतर्गत हमेशा विशेष रूप से सोचा गया ऐसा मुझे लगता है, जिसमे महिला स्टाफ का “चहक महक” के कार्यक्रम हो या फिर महिला स्टाफ के मुद्दों को समझने हेतु रिसर्च हो इनसे हमेशा ही मुख्य तौर पर महिला स्टाफ को युवा ने मौके दिए |
लगातार छह साल एक महत्वपूर्ण अभियान की मै अगुवाई कर पाई | जिसमे मुंबई और थाने जिले की बस्तियां ही नहीं स्कूल, कॉलेज स्तर पर “मुमकिन है, महिलाओं पर होने वाली हिंसा का अंत” इस अभियान की सोच को लोगो के बीच ले जाकर बदलाव के लिए लिंग आधारित भेदभाव को छेद देने हेतु बदलाव के लिए प्रेरक के रूप में “चेंजमेकर” की चेन बनाने में युवा के सभी साथियों ने काफी सहयोग दिया | कई कॉलेजेस, जनसंघटन तथा संस्थाएं भी इस काम में जुडी थी | इन सब बातों से व्यक्तिगत रूप से मै बहुत कुछ सीख पायी | मैंने कोई भी ग्रेजुएट की डिग्री नहीं ली थी, पर फिर भी वार्षिक रिव्यु में प्रेजेंटेशन करने और लोगो के बीच जाकर बात करने के लिए हमेशा टीम के साथियों ने मुझे प्रोत्साहित किया |
युवा का मेरे व्यक्तिगत जीवन में बहुत महत्व है, युवा ने सहकार्य का हाथ दिया, जिसकी वजह से मेरा अपने घर का सपना साकार हो पाया | मेरे पास एक रूपया भी नहीं था और मुझे ४ लाख का घर खरीदना था, युवा पतपेढ़ी ने १० प्रतिशत रकम दी बाकी की बैंक से हासिल करने के लिए हर तरह का सहयोग दिया |
युवा को ३५ वर्ष होने के इस अवसर पर ढेरों शुभकामनायें देते हुए युवा के २० वे वर्ष पुरे होने पर हमने महिला स्टाफ ने मिलकर मुंबई के गणेश पंडालों में जाकर किये हुए पथनाट्य को याद करती हूँ | पहली बार रास्ते पर उतरकर शहरी समस्याओं को लोगों के बीच रखने का अनुभव काफी रोचक रहा | मार्च २०१४ तक मै युवा का एक भाग थी, इस बात का मुझे बहुत ही फक्र है |
Pramila Sharma, Former Staff, YUVA
YUVA is an organisation invested in making cities inclusive and equitable through capacity building and empowerment of communities. One of the bastis that it actively engages with is Malwani, Ambujwadi in Malad, Mumbai. Associating with YUVA and working in this basti has played a vital role in shaping my personality and has contributed to my overall self-development.
Through organisations like YUVA, people like me who reside in bastis get exposure to the real world where we can explore opportunities that eventually contribute to our treasure of rich experiences. From a bashful child, I have now transformed into a confident individual. Working with YUVA has helped me learn many new things that was not taught to me in school. Most importantly, before becoming a part of BASS (Bal Adhikari Sangharsh Sanghatan), a children’s collective facilitated by YUVA, I was unaware and oblivious to the rights and privileges that the Constitution bestows upon me as a child, but not anymore. Thus, YUVA’s work helps bridge the gap between the government and its citizens by making us aware about the laws and rules that exist along with our rights and privileges.
To sum it up, I have had a fun-filled learning experience at YUVA. I appreciate the efforts the staff at YUVA put in to bring about change in society. I wish all the very best to them along with my heartfelt good wishes.
Praveen Kadam, BASS Member, YUVA
My journey with YUVA began last year in April 2018, when I arrived in Mumbai for my 6 month internship. YUVA welcomed me in such a wonderful way that I never felt away from home. I never felt alone or dislocated even though I was in a new country, the varied cultures of which were so different from the ones I knew.
At YUVA, it was truly a learning experience as I was often traveling in the city, getting involved in different projects that helped me get acquainted with different communities in which YUVA worked. What is amazing about YUVA’s work is how they engage with different communities in the city to empower them to help make their voices heard. I’m grateful to YUVA for the exposure, experience and also the freedom it gave me to learn and explore many things. Today I’m happy to say that I am still in touch with YUVA and many of my colleagues.
Ana Goncalves, Intern, YUVA
YUVA would like to express heartfelt gratitude to all the people who have contributed to YUVA’s journey of 35 years.
For other instalments of the YUVA Meri Nazar Mein Series, see #2, #3, #4, #5