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राशन के हक्क की लड़ाई

By , , February 8, 2022July 28th, 2023No Comments

सरकारी राशन और राशन कार्ड तक पहुँचने के लिए श्रमिकों का संघर्ष

I.

मुंबई शहर की ६ असंघटित बस्तियों में युवा अर्बन इनिशिएटिव के अंतर्गत अर्बन रिसोर्स सेंटर चलाये जाते है| ऐसा ही एक सेंटर दहिसर के गणपत पाटिल नगर के गल्ली नंबर १ में चलाया जाता है| इस सेंटर से लोगों के पैनकार्ड, आधारकार्ड, वोटिंग कार्ड आदि डॉक्यूमेंट/दस्तावेज बनाने, और अलग अलग सरकारी योजनाओं को लोगो तक पहुचाने का काम किया जाता है|

सेंटर से चलने वाली इसी मार्गदर्शन प्रक्रिया के दौरान २१ जुलाई २०२१ को राशन से संबधित समस्या लेकर सरोज विश्वकर्माजी सेंटर पर आयी | सरोज जी पिछले ७-८ सालो से दहिसर के गणपत पाटिल नगर में अपने परिवार के साथ रह रही है | वह काम के सिलसिले में उत्तरप्रदेश के गाज़ियाबाद जिले से मुंबई में रहने आए, सरोज जी के घर में ५ सदस्य है, अपने परिवार का खर्चा चलाने के लिए वह घरकाम करती है और उनके पती फर्नीचर का काम करते है, और उनके बच्चे पढ़ रहे है |

“घर का पूरा खर्चा अपने कमाई से पूरा नही हो रहा है और राशन की दूकान से राशन मिलने में भी दिक्कते बढ़ रही है” यह समस्या लेकर सरोजजी सेंटर पर आयी थी|

गणपत पाटिल नगर में राशन दुकान में सरोज जी राशन लेने के लिए गयी थी, वहा पर राशन दुकानदार ने बताया की UP के राशन कार्ड पर यहाँ मुंबई में राशन नहीं मिल सकता है, दुकानदार से बात करने के बाद हम राशन ऑफिस में भी जाकर आये लेकिन कुछ फायदा नही हुआ| यह सब सुनने के बाद युवा साथी ने इस समस्या पर काम करना शुरू किया और सरोज जी को ३-४ दिन बाद फिरसे सेंटर पर आने को कहा |

युवा साथियों ने सरकार द्वारा बतायी गयी ‘एक देश ,एक राशनकार्ड’ योजना के बारे में सूना था| पर इस योजना के बारे में पूरी जानकारी राशन कृति समिति और युवा साथी से निकाली | उन्होंने पूरी कहानी सुनने के बाद कहा की एक देश ,एक राशनकार्ड’ इस योजना के तहत गणपत पाटिल नगर के किसी भी राशन दुकान से उस महिला को राशन मिल सकता है|

‘एक देश, एक राशनकार्ड’ योजना के बारे में — कई लोग काम की तलाश में अपने शहर/गाँव को छोड़कर दुसरे शहरों की तरफ आते है | जब वो अपने गाँव/शहर को छोड़ के नयी जगह पर आते है तब कही बार उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं होता | जिसकी वजह से वो नए शहरों में अपने अस्तित्व बनाने के लिए दस्तावेज भी नहीं बना पाते| उनके पास इस देश का नागरिक होने के कुछ सबूत होते है, पर नए राज्यों और शहरों में सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए वो दस्तावेज काम नहीं आते|

ऐसा ही कुछ राशनकार्ड के बारे में था उनके पास राशनकार्ड तो होता है, लेकिन वह उसका उपयोग सिर्फ अपने राज्य में स्थित राशन की दूकान पर ही कर सकते हैं। दूसरे राज्य में अपने हक्क का राशन लेने के लिए कोई भी गरीब इसका इस्तमाल नहीं कर पा रहा है| दूसरे राज्य में राशन कार्ड बनवाने के लिए कोई जो दस्तावेज लगते है वो उनके पास नहीं होने की वजह से इन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, पर जितने भी चक्कर लगा ले उनका काम नहीं हो पाता। सरकारी दफ्तर से अगर काम नहीं होता तो उनकी बस्तियों में कुछ एजेंट भी होते है जो ज्यादा पैसा लेकर राशन कार्ड बनाकर देते है, पर वो रकाम काफी ज्यादा होती है, कभी कभी वह रक़म ५००० से लेकर १५००० तक की होती है| जिस वजह से दिहाड़ी पर काम करनेवाले अन्य राज्यीं से आये मजदुर इस शहर में अपना राशन कार्ड नहीं बना पाते और उनके गाँव के राशन कार्ड पर भी उन्हें राशन नहीं मिलता| इस तरह उनके हक्क का राशन कभी उन तक नहीं पहुँच पाता|

इसी तरह के गरीब, वंचित किसी भी राज्य में जाकर कम दाम में अपने हक्क का राशन ले सके इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकारने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम २०१३ के अंतर्गत ‘एक देश एक राशन कार्ड’ योजना ९ अगस्त २०२० को शुरू की। राशन कार्ड होने पर वंचित, मजदुर, कामगार वर्ग किसी भी राज्य से राशन ले सकता है| वहीँ किसी कणवश किसी के पास राशन कार्ड नहीं भी है ,तो उसकी भी मदद की जाती है। प्रवासी मजदूरों को ‘एक देश एक राशनकार्ड’ योजना का सबसे ज्यादा फायदा होगा।

१ जून २०२१ तक इस योजना के अंतर्गत कुल २० राज्यों को जोड़ा गया। केंद्र सरकार ने ३१ जुलाई २०२१ तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रख था। अब तक कुल २९ राज्य वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से जुड़ चुके हैं, इसमें उत्तरप्रदेश , पंजाब , महाराष्ट्रा , गुजरात , तेलंगाना , हरियाणा , राजस्थान जैसे राज्यों का समावेश है। साथ ही साथ ‘मेरा राशन’ नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया गया है जिसमे ‘एक देश ,एक राशनकार्ड’ योजना का लाभ मिलने के लिए राशन कार्ड धारक को रजिस्टर करना पड़ता है| रजिस्टर करने के बाद नजदीकी राशन दुकान से वो अपने हक्क का राशन ले सकते है|

इस योजना में एक और महत्वपूर्ण बात बताई गयी है की जिसको एक देश ,एक राशनकार्ड योजना का लाभ लेना है,उस व्यक्ति को उसके गाव का राशन कार्ड साथ में रखना जरुरी है, तभी वो अपने नजदीकी राशन दुकान से राशन ले पाएंगे|

‘एक देश ,एक राशन कार्ड’ योजना की पूरी जानकारी पाने के बाद राशन कार्ड धारक सरोज जी को अर्बन रिसोर्स सेंटर बुलाया और योजना की जानकारी उन्हें बताई| उसके बाद सरोज जी को गाव का राशनकार्ड मुंबई में लाने को कहा गया, उन्होंने उसी वक्त अपने पती को कॉल करके सेंटर पर बुलाया और सारी जानकारी वापस एक बार उनको बताई| दोनो ने सारी बात सुनकर, गाव का राशन कार्ड यहाँ मुंबई में लेकर आने का और उसपर यहाँ राशन लेने के लिए रजिस्टर करने का तय किया| सरोज जी के पति जुलाई २०२१ को गाव गए और वहां से लौटते वक्त अपना राशन कार्ड, लेकर आए | .

सरोज जी गाव का राशन कार्ड लेकर १२ अगस्त २०२१ को अर्बन रिसोर्स सेंटर पर आई, आने के बाद उनके राशन कार्ड को ‘मेरा राशन’ एप्लीकेशन पर रजिस्टर किया| रजिस्टर करने के बाद राशन कार्ड धारक सरोज जी को राशन दुकान जाने को कहा और युवा साथी भी उनके साथ दुकानपर गए| सरोज जी ने पहले दुकानदार से बात किया और उसे ‘एक देश एक राशनकार्ड’ योजना का रजिस्ट्रेशन दिखाया, उस वक्त भी दुकानदार ने कहा, “यहाँ से एक देश ,एक राशन कार्ड के तहत राशन देना शुरू नही किया है , आप २० अगस्त के बाद आओ, मैं राशन ऑफिस में बात करता हु”| दुकानदार की यह बात सुनकर युवा साथी और राशनकार्ड धारक वहा से निकल आये|

४-५ दिन बाद सरोज जी फिर से राशन दुकान में गयी और राशन कार्ड दिखाकर, मशीन पर अंगूठा लगाकर अन्न सुरक्षा योजना के तहत ३० किलो गेंहू और २० किलो चावल लेकर अपने घर आयी| अब उन्हें २०२२ तक मुंबई में उत्तरप्रदेश के राशन कार्ड पर राशन मिलनेवाला है| राशन पाकर राशन कार्ड धारक सरोज जी बहुत खुश हुई और युवा संस्था का शुक्रिया अदा किया| उन्हें उनके हक्क का राशन मिला और उन्होंने जो परिश्रम किया उसमे वह सफल हो पाई| युवा अर्बन इनीशिएटिव की यह कामयाबी, संघर्ष बहुत महत्वपूर्ण रहा| हमारा फॉलो अप, काम और लोगों का विश्वास यह सारी बाते हमारे काम करनेका जज्बा बढ़ाती है|

बाळा आखाडे

II.

राशन वाले के दुकान पर जाते वक्त हसीनाबून बेगम को ना कोई हिचक थी, ना किसी प्रकार का डर वो अपने परिवार की रोटी के लिए घर से बाहर राशन के दुकानपर अपने हक्क का राशन लेने जा रही थी|

हसीबून बेगम मुंबई में मालाड, मालवणी बस्ती, के राठोड़ी में रहनेवाली एक महिला है| गए ६ महीने से राशन दुकानदार हसीबून बेगम के परिवार को राशन कम दे रहा था| ‘आपके राशन कार्ड पर राशन कटौती हुई है’, ऐसा बताकर चिल्लाते हुए दुकानदार हसीबून को आधा ही राशन देकर वापस भेज देता था| हसीबून बेगम के परिवार में ६ लोग है और कमाने वाला व्यक्ति सिर्फ एक है जिस वजह से राशन कार्ड से मिलने वाला राशन उनके लिए बहोत जरुरी है| लेकिन फिर भी राशन दुकानदार उनको उनके हक्क का राशन नहीं दे रहा था| दुकानदार उनको हर बार कहता की, ‘राशन कम आया है’, ‘राशन नहीं आ रहा है इसीलिए आपको इतनाही राशन मिलेगा’| हसीबून बेगम को हिंदी बोलने और समझने में दिक्कत है और वो घर से ज्यादा बाहर भी नहीं जाती थी इस कारण वह राशन की दूकान से हमेशा हताश हो कर वापस आ जाती थी|

हसीबून बेगम जैसी और भी महिलाए/ परिवार इस बस्ती में है जिन्हें अपने अधिकारों के लिए हर बार किसी न किसी समस्या से या सरकारी यंत्रणा से झुझना पडता है| कभी राशन के लिए तो कभी बस्ती में अपनी पहचान दिखाने के लिए लगनेवाले दस्तावेजों के लिए| मुंबई शहर में बसी इस तरह की असंघटित बस्तियों में युवा संस्था का काम चलता है| युवा संस्था के ‘अर्बन रिसोर्स सेंटर’ प्रकल्प अंतर्गत राठोडी बस्ती में भी एक सेंटर चलता है जहा लोगों को उनके मुलभुत दस्तावेजों और सरकारी योजनाओं तक पहुचाने का काम चलता है| इस सेंटर से लोगों के अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में जनजागृती का काम भी चलता है| ऐसे ही एक जनजागृती सत्र में हसीना बानू ने राशन से संबंधित अपने अधिकारों को समझने की कोशिश की थी|

हसीबून बेगम ने उस सत्र के दरम्यान अपनी दबी हुई आवाज मै राशन कॉर्ड हाथ मै लेकर युवा के साथी अभिजीत से कहा कि, ‘मुझे राशन वाला पिछले छह महिने से राशन कम दे रहा है, मेरे छोटे छोटे बच्चे है मेरे घर मै मेरे पति है, अकेले कमाते है और लॉकडॉन के कारण अभी घर पर ही है ’|

हसीबून बेगम की राशन की समस्या सुनकर साथी अभिजीत ने उनके आधार कार्ड नंबर के माध्यम से ऑनलाईन वेबसाईट पर जाकर उनके राशन कॉर्ड की जाँच (नाम, परिवार सदस्य, आधार लिंक है या नहीं, उनको कितना राशन मिलना चाहिए) की| ऑनलाईन जाँच करने के बाद हसीबून बेगम की बाते सच निकली। राशन वाले ने १५ किलो × ६ महीना = ९० किलो राशन का गफला किया था। साथी अभिजीत ने हसीनाबून बेगम को राशन के गफले के बारे मै बताया और उनको राशनवाले के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए मार्गदर्शन किया। साथ ही मै ऑनलाईन जांच पड़ताल की हुई रसीद दी और मालाड के राशन ऑफिसर का नाम एक पर्ची पर लिख दिया| हसीनाबून बेगम अपने बाजूवाली एक महीला को लेकर सीधा राशनवाले के पास अपना हक्क का राशन लेने चली गई।

इस बार राशन वाले के दुकान पर जाते वक्त हसीबून बेगम को ना कोई झिजक थी ना किसी प्रकार का डर| अपने हक्क का राशन लेने के लिए वो राशन के दुकानदार के पास जा रही थी| राशन दुकान के अंदर जाकर दुकान के काउंटर के सामने खड़े होकर ऑनलाईन रसीद दिखाया|दूकानदार डर गया और कहने लगा ‘बेहन मुझे माफ करना, मैं पुरा राशन तो नही दे सकता पर पिछले दो महिने का राशन तुम्हे देता हूँ’|

इस प्रकार हसीनाबून बेगम ने यूवा साथी के मार्गदर्शन से और अपने साहस से अपने परिवार के रोटी के लिए राशन हासिल किया| युवा संस्था इस हसीबून बेगम तक पहुंच सकी और उनको राशन को प्राप्त करने में मदद कर सकी पर, ऐसे कई औरतें/परिवार है जो अपने हक्क के राशन से अभी भी वंचित है| भारत में राशन कार्ड पर मिलनेवाला राशन जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन यह राशन अभी भी बहुत लोगो को नहीं मिल पाता|

अभिजीत देसाई

III.

Access to ration is essential, especially for community members who are below the poverty line. Communities where most residents are daily wage workers have been most affected by the ongoing pandemic. However, their access to the Public Distribution System is often challenging as they may not possess a ration card, or the card may not be linked to their Aadhaar or updated as required.

In the community of Annabhau Sathe Nagar, Mankhurd, Mumbai, many residents do not have ration cards as they lack a proper address proof or are not sure how to navigate the card application process. Often there is corruption involved in the process and many agents make it more difficult for eligible people to access the scheme.

One such resident of Annabhau Sathe Nagar, Usha Keshav Saravade, is a 38-year-old woman. Usha is a homemaker and has lived in this community with her family (her husband and five children) for the last 15 years. Her husband, Keshav Saravade (aged 44 years) is a painter, a daily wage worker and the only income earner in their family.

In February 2021, Usha came to know about YUVA’s Urban Resource Centre and that we facilitate the process for ration card applications. She visited us and told us how their family has been trying very hard to retrieve their lost ration card. They misplaced it 5 years ago while re-constructing their house.

They kept visiting the ration office multiple times but they found it difficult to understand the process for retrieving their lost ration card and making it functional. The officer asked them to get the NC from the local police station to start the application process but they faced another challenge at the police station. The police officers dismissed them, saying ‘we cannot accept your report’ (without any clear reason) and advised them to make an affidavit from the court for the same. Usha and her husband were not aware of this process also. The found out that making an affidavit will cost them a lot and once again they lost hope.

This entire process was time consuming and confusing and it was also affecting their sustenance. Since her husband is the only earner of the family and he works on daily wages, visiting the police station and ration office regularly was costing him his day’s income. They also tried consulting local agents but the amount they charged was too high for them. As they were not able to pay such an amount of money to the agent or for an affidavit they were left with no other options but to give up despite all the long endeavours.

While explaining her situation, she also shared that her family is in a poor financial condition due to the lockdown and not even able to afford monthly expenses of food grains. She needed her ration card to avail monthly ration at subsidized rates from local ration shops.

We explained the ration application process to her and checked if she had all the documents required for it. This made us realise that two of her children didn’t have an Aadhar card, so we started the process of generating their Aadhaar cards first, as this is a must for ration card applications. Then we visited the concerned police station with her to understand why the police officers were not cooperating with her and ignoring her request to register the NC. This time, with the presence of one of our team members, the police officers started cooperating and accepted her request to register the NC. After getting the NC report from the police station, we (Usha and one of the team members) visited the ration office and started the application process.

Currently her application is in process and it’s getting delayed due to lockdown but she has hopes that sooner or later she will get her ration card. She is happy that after all the difficulties she faced, she at least managed to submit the application for a new ration card without paying any extra money.

Usha shared her gratitude to YUVA with a message on our Founding Day too. She also shared how motivated she is feeling after understanding the Public Distribution System and ration card application process and can speak with the officials with confidence as she has attended an awareness session on the same topic and has learned about the process and how she can raise her concern and complaints.

Sana Shaikh

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