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चलो बस्ती बदलें

By January 14, 2024No Comments

लल्लूभाई कंपाउंड है एक पुनर्वसन वसाहत है, यहाँ 47 हजार से ज्यादा लोग 70 बिल्डिंग में रहते है। शहर का विकास हुआ (ख़ास करके जब परिवहन- फ्लाई ओवर, रेलवे- की सुविधा बनी) तब यहाँ अलग–अलग बस्तियां (जो उस प्रोजेक्ट के रस्ते में थी) तोड़ी गई और उन लोगोंं को यहाँ पुनर्वास दिया गया।  लल्लूभाई कंपाउंड का निर्माण 2004 में  हुआ था। स्लम पुनर्वास योजना (Slum Rehabilitation Scheme) के तहत बनाया गया है लल्लूभाई कंपाउंड, यहाँ 45 से अधिक कॉलोनियों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 65.27 प्रतिशत निर्माण एम-ईस्ट वार्ड में किया गया है। लल्लूभाई कंपाउंड एम ईस्ट वार्ड में 13 आर एंड आर कॉलोनियों में से एक है। इसका निर्माण तीन बिल्डरों – एसवी पटेल और हीरानंदानी ने 2005 में और एलएंडटी ने 2009 में किया था। पहली नज़र में ऐसा लगता है कि बस्तियों में रहने वाले लोगों को कॉन्क्रीट की बिल्डिंग में बसाया गया है, जो इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में पेश करता है। हालांकि, जब बारीकी से देखा गया, तो उपयुक्त आवास के लिए आवश्यक सुविधाएं और पर्यावरण की नजर से एक बैकसीट लिया हुआ नजर आता है।

बस्ती फेडरेशन की मीटिंग 
खाली जगह को बदलने के बारे में चर्चा करते हुए बस्ती फेडरेशन की मीटिंग 

जब लोगों को यहाँ पुनर्वसन दिया गया तब उन्हें ये भी नहीं पता था कि उनके बाजू में जो रहने के लिए आये हैं वो कौन सी भाषा बोलते हैं, वो कहाँ के रहने वाले हैं, उनका धर्म ये कुछ भी पता नहीं होता है। जिस कारण उन्हें आपस में मेलजोल के लिए बहुत ज़्यादा समय गया। बुनियादी सुविधाओं के साथ लोगों को एक साथ आने के लिए भी कोई सामाजिक जगह का प्रावधान या निर्माण नहीं किया गया था, कुछ जगह लोगों ने एक साथ आकर ऐसी जगह का निर्माण किया। 

(बिल्डिंग का स्ट्रक्चर और दो बिल्डिंग के बीच की जगह ऐसी है की सूरज की किरणें भी घर के अंदर नहीं आती और ना ही खुली हवा ही घरों में आती है।)

लल्लूभाई कंपाउंड में ऐसी ही एक जगह है जहाँ 16 बिल्डिंग का एक फेडरेशन है यहाँ करीब 5336 की जनसंख्या है। बिल्डिंग नंबर 18 के पीछे की एक खुली जगह जहाँ बच्चे और महिलाएं नहीं जाते थे क्योंकि वहाँ नशाखोरी ज़्यादा थी और वो जगह सभी के लिए असुरक्षित थी। इस जगह को लेकर जब सोसायटी के लोगों से बात करना शुरू किया तो उन्होंने कहा कि उस जगह हम कुछ नहीं कर सकते वहाँ कोई नहीं जाता है, वहाँ नशा करते हैं लोग और कोई भी तैयार नहीं था। सोसायटी फेडरेशन चाहती थी कि उसी जगह हरियाली की जाए पर वास्तव में उनकी और से ज़मीनी स्तर पर कोई सपोर्ट नहीं मिला।

हरियाली के लिए लगाए गए पौधों की देखभाल करते हुए बच्चे
हरियाली के लिए लगाए गए पौधों की देखभाल करते हुए बच्चे

माता-पिता अपने बच्चों को उस जगह भेजने से डरते थे पर पेरेंट्स के साथ लगातार बात की, उनके घर जाकर चर्चा की, फिर भी वो तैयार नहीं हुए, जिन बच्चों के माता-पिता तैयार हुए और बाल अधिकार संघर्ष संघटन के कुछ बाल साथियों के साथ उस जगह पर खेलना, मीटिंग करना, उस जगह पर अभ्यास वगैरह शुरू किया गया। साथ ही में हमने नशा करने वाले युवाओं के साथ भी संवाद करना शुरू किया कि जब बच्चे पढ़ रहे हैं तब नशा न करें। वो थोडा दूर जाकर नशा करें, शुरू के दौर में उन्होंने बात नहीं सुनी, उल्टा उन्होंने हमें सुझाव दिया कि हम यह जगह छोड़ कर कहीं ओर अभ्यास चलाएं। फिर नशा छोड़ कर उनके साथ हमने लगातार सामान्य तौर पर बात करना शुरू किया और अभ्यास के साथ साथ हमने महिलाों के लिए किचन गार्डन का सेशन आयोजित किया, तब जाकर पेरेंट्स में एक विश्वास बना और धीरे-धीरे उनका सपोर्ट हमें मिलने लगा। 

हरियाली की देखरेख की ज़िम्मेदारी निभाते बस्ती के सदस्य  
हरियाली की देखरेख की ज़िम्मेदारी निभाते बस्ती के सदस्य  

उसी जगह को हरियाली में बदलने के लिए बच्चों के साथ डिजाईन कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने अपनी राय रखी कि उस जगह में हरियाली लाने के लिए उस जगह पर छांव और फल देने वाले छोटे, बड़े पेड़ लगाए जाएं और साथ ही वहा चित्रकारी की जा सकती जिसमें पढ़ते हुए बच्चे, जैवविविधता से सम्बंधित चित्र दिखाए जा सकते हैं। इस तरह के सुझाव आए और उस नुसार आर्किटेक्चर के सहयोग से डिजाईन बनाई गयी और इस प्रक्रिया की शुरुआत की गई। इस प्रक्रिया में लोगों को सक्रीय तौर पर जोड़े रखने में समुदाय बस्ती संघटक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हर बार लोगों के बीच के तनाव और कम्युनिटी डायनामिक्स को ध्यान में रखते हुए उनके साथ संपर्क बनाकर उनकी राय ली गई और खासतौर पर उनकी सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रयास किया गया।  

बदलाव के बाद खेल-कूद करते बस्ती के बच्चे 
बदलाव के बाद खेल-कूद करते बस्ती के बच्चे 

बच्चों ने जो डिजाइन बनाई थी उसके अनुसार हरियाली की प्रक्रिया चलाई गई और बच्चों की सहभागिता के साथ पौधे लगाए गए और पेंट किया गया। उसके बाद फेडरेशन के स्तर पर चंदा इकठ्ठा करके उन्होंने पानी की व्यवस्था की और पौधों की देखभाल और पानी देने की ज़िम्मेदारी सोसायटी ने ली। सिर्फ हरियाली ही नहीं हुई, उस जगह को विकसित करने की प्रक्रिया में जुड़े बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग लोग एक साथ आए, उनके बिच का संवाद बढ़ा और उस जगह की ज़िम्मेदारी लेते हुए उस जगह का इस्तमाल करना शुरू किया गया और एक असुरक्षित जगह हरियाली करके सुरक्षित जगह में परिवर्तित कर पाए। सिर्फ जगह को परिवर्तित करने में ही नहीं, बल्कि लोगों के बिच सामाजिक संवाद बढ़ाने में भी इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 

सामाजिक गतिविधियों की जगह के रूप में परिवर्तित जगह का उपयोग
सामाजिक गतिविधियों की जगह के रूप में परिवर्तित जगह का उपयोग

ऐसी प्रक्रिया आप भी अपने यहाँ कर सकते हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि आपके यहाँ कोई खुली जगह हो या कोई ऐसी जगह जो असुरक्षित लग रही हो, उस जगह को हरियाली में परिवर्तित करने के लिए आपके यहाँ के स्थानिक बच्चे, युवा, महिलाों को संगठित करके उनको पर्यावरण और जैवविविधता को लेकर जागृत करके उनके सहयोग से आप उस जगह को हरियाली के साथ-साथ एक सामुदायिक जगह में परिवर्तित कर सकते है।

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