Skip to main content
Learning and DevelopmentYouth WorkYUVA

निरंतर विकास लक्ष्य

By , January 5, 2018December 28th, 2023No Comments
कार्यशाला के दरमियान निरंतर विकास लक्ष्यों पर प्रतिभागी अपनी समझ बढ़ाते हुए

रोजमर्रा की दिनचर्या और अनुभवों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कौन से लक्ष्य निश्चित किए है. इसी विषय पर युवा ने दिलाशा और उद्दगम के साथ मिलकर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला ने Terre Des Hommes के प्रतिभागियों, 50 से अधिक स्टाफ व युवा साथियों को एक अनूठा अवसर प्रदान किया. जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों पर चर्चा कर इसे निजी अनुभवों से जोड़कर समझने का प्रयास किया. तो आइये सबसे पहले सतत् विकास लक्ष्य को समझते हैं.

सतत् विकास लक्ष्य क्या और क्यों?

निरंतर विकास लक्ष्यों के १७ धेय्य

2015 के संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन में एजेंडा 2030 के 17 लक्ष्यों में सतत् विकास लक्ष्य यानी SDG भी शामिल है. इस एजेंडे को 193 सहभागी देशों ने अपनी सहमति प्रदान की है. सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य(MDG) अपनी समाप्ति जब अपनी समाप्ति की ओर अग्रसर था, इसके पहले संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के बेहतर भविष्य के लिए सतत् विकास लक्ष्य की रूपरेखा तैयार की. इस लक्ष्य का उद्देश्य सभी का समान विकास करना है. हर लक्ष्य का अपना विशेष उद्देश्य है, यह कई तरीकों से दूसरे लक्ष्यों से भी जुड़ा है. सरकारी, निजी संगठनों, सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों तथा व्यक्तिगत स्तर पर इन लक्ष्यों को पूरा करने में सभी की विशेष भूमिका होगी. सभी देशों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विशेष उद्देश्य तैयार करना चाहिए. धीरे-धीरे इन्हें स्थानीय स्तर की योजनाओं के साथ सम्मिलित कर लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए.

आइये कार्यशाला की ओर लौटते हैं

कार्यशाला का आयोजान इस उद्देश्य से किया गया कि युवाओं की स्व- विकास में महत्वपूर्ण व सक्रिय भूमिका है और उनकी कर्तव्यनिष्ठा ही उन्हें छोटे-छोटे बदलावों के योग्य बनायेगी. सबसे पहले हमने प्रतिभागियों को रोजमर्रा की समस्याओं का चुनाव करने को कहा. फिर हमने इन समस्याओं को वैश्विक समस्याओं के साथ जोड़कर चर्चा की. वर्तमान में उपलब्ध नीतियां और योजनाएं खोजने के साथ उनमें कमियों और संभावित जरूरी समाधान पर भी चर्चा की. इसके साथ-साथ हमने मौजूदा ढांचे का गहराई से निरीक्षण कर आवश्यक कदम उठाने की वकालत करने पर जोर दिया. और ऐसे जरूरी नेटवर्कों पर चर्चा की जिससे बदलाव लाया जा सकता है.

फैसिलिटेटर की भूमिका

हमने पहली बार सतत् विकास लक्ष्यों पर इतनी गहराई से चर्चा की और सहभागियों के निजी जीवन से जोडने की कोशिश की. इसके साथ ही तकनीकी कार्यक्षेत्र होने से बनने वाली धारणाओं को समाप्त किया. यह चुनौतीपूर्ण जरूर रहा लेकिन इसके साथ ही हमारे अनुभव को बढ़ाने में फायदेमंद भी रहा. जैसे की हमने प्रतिभागियों के बीच उत्साह देखा. हमने प्रतिभागियों में उत्साहवर्धन के लिए विभिन्न तरीकों को अपनाया. प्रतिभागियों द्वारा लक्ष्यों को अपने स्थानीय समस्याओं से जोडने तथा उसके अनुसार समुचित योजना और कार्यक्रम तैयार कर संबंधित हितधारक (स्टेकहोल्डर) से वकालत करने की अपेक्षा की. इसीलिए हमने उन्हें स्थानीय भाषा में संबोधित किया. हमने प्रतिभागियों की चर्चा को इस तरह मोड़ा ताकि वे हमारे सहयोग के बिना ही स्थानीय समस्याओं का समाधान कर पाए

सहभागियों की प्रतिक्रिया

पुणे के न्यू विजन से जुड़ी मुघा सोनावणे ने विभिन्न चर्चाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस मोड्यूल ने मुझे नई दिशा दी तथा किसी बदलाव के लिए सीढी-दर-सीढी कार्य करने कि समझ पैदा की. कागड़ कछ पत्र काश्तकारी पंचायत के अजय बनसोडे मुघा की बात से सहमत होते हुए कहते हैं, “ इसके पहले मुझे MDG तथा SDG के बारे में कुछ पता नहीं था लेकिन अब मुझमें इसकी समझ विकसित हो गयी है. अब मैं इसमें अपने अधिकारों से भी परीचित हूँ. अपने आसपास कई युवाओं को मैंने बातचीत करते सुना है कि शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य जीवन में अच्छी नौकरी प्राप्त करना है. लेकिन इस सेशन के बाद शिक्षा के प्रति मेरा विश्वास मजबूत हुआ है. मुझे यह मालूम हुआ कि कैसे हम इससे समाज में जागरूकत फैला सकते हैं. आज भी न नीति निर्माता स्थानीय सच्चाइयों से परीचित नहीं होते हैं, हम उन्हें इन सब के बारे में बता सकते हैं.”

आगामी योजनाएं

इस कार्यक्रम के अंत में सभी 12 सहयोगी संगठनों से अपेक्षा की गयी कि वे दो SDG का चयन कर निरीक्षण करेंगे तथा उद्देश्यों को चिन्हित कर जरूरी हस्तक्षेप करेंगे. साथ ही वे SDG तथा उसके उद्देश्यों के बारे में लोगों को परिचित करायेंगे. कुछ समय बाद इन संगठनों द्वारा संबंधित सूचनाओं की रूपरेखा तैयार कर इसे सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे.

SDG एक प्रमुख मानदंड है. इसके द्वारा हम स्थानीय मुद्दों को चिन्हित कर सकते हैं. यह संबंधित अधिकारियों तथा नीती निर्माताओं को उचित कदम उठाने पर बाध्य कर सकता है. वे अंतराष्ट्रीय लक्ष्यों को पाने के लिए सिविल सोसाइटी संगठनों को व्ताक्तिगत तथा सांगठनिक रूप में मदद पहुंचाने के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं.

सचिन नाचनेकर तथा पूजा यादव, प्रकल्प समन्वयक, युवा

Leave a Reply