Expressions from participants of the programme on co-creating cities with youth
1. अंत ही शुरुवात है।
सिटी कारवां, आह!,
वो खूबसूरत दस दिन,
मानो एक पल में गुजर गए हो जैसे,
जैसे सुबह ही युवा सेंटर कैम्प के लिए पोहचे,
और दोपहर को घर वापसी,
शायद ये मेरा लालच हो या कुछ और,
मगर लगता है कि कैम्प और लंबा चलता,
और लंबा चलता,
बस चलते ही रहता,
तो यू चार चांद लगते ही रहते खुशियों को।
नज़रिया इतिहास देखनेका,
नजरिया समाज को देखनेका,
नज़रिया इमारते देखने का,
हर दिन एक नया नजरिया था,
गरीब की गरीबी,
अमीर की अमीरी,
हमारी प्यारी सरकारों ने,
लगाया जो गलत फ़हमियों का ठेला था,
उन सब गलत फ़हमियों को,
सही से देखने के लिए,
सिटी कारवां युवाओं का एक मेला था,
हमने सीखा बहुत,
हमने सिखाया बहुत,
वो सीखने-सिखाने का जैसे कोई मोहल्ला था,
कभी नीति समजी,
कभी संशोधन समजे,
आजमाया उन्हें अलग तरीकों से,
एक एक करके,
धीरे धीरे,
समज को जोड़ा था,
समज और तरीकों से याद आया,
समाज की तरक़्क़ी,
उफ्फ्फ,
चाहे मिलों का टूटना हो,
या हो रेल,
सभी तो है किसीका बना बनाया खेल,
हमारे ही शहर की कहानी,
हमें ही पता न थी,
शायद इसीलिए इन खूबसूरत दिखती इमारतों से,
अब तक हमे खता न थी,
क्या धर्म, क्या लिंग,
क्या वर्ग, क्या श्रम,
सभी हम इंसान तो है,
के मरने के बाद,
लेटना है चिता पर, लटकना है हवा में,
या जाना हमें श्मशान तो है,
तो क्यों भेद करें,
क्यों फर्क करे,
देखे जो भी,
या कही सुनले कुछ,
क्यों-ना अब से उन सब पर तर्क करे,
और ये अंत नहीं,
ये तो कविता की शुरुवात है,
जो हम युवा मिलाकर रचने वाले है,
सचाई के पहनावें में सजने वाले है,
क्योंकि मेरी किसी साथी ने कहा था,
के बदलाव मुमकिन है,
इसलिए हम मिलते रहते है,
संघर्ष करते रहते है,
और बदलाव मुमकिन है,
इसलिए हम मिलते रहेंगे,
संघर्ष करते रहेंगे,
सीखते रहेंगे,
सिखाते रहेंगे,
जिन्दाबाद,
क्योंकि हम जिंदा है,
नींद में नहीं,
बल्कि जागे हुए है,
और हमारी सचाई,
हमारा संघर्ष,
आबाद है।
Swapnil Subhash Shinde, T.E. Mechanical Engineering
2. युवकों के विचार
आजीविका,रोजगार क्या है? कैसे है? क्या कर सकते है? में मेरा क्या योगदान दे सकता हूँ?
ऐसे बहुत सारे प्रश्नों का पिटारा लेके हम सब साथी सिटी कारवां के गाडी में बैठ गए थे।
हमारी क्रिटिकल थिंकिंग हमारी ये एक महत्वपूर्ण आधार है जब हम किस चीज के लिए पॉलिसी बनाते है और अगर रोजगार से निगडित पॉलिसी हो तो हमारी क्रिटिकल थिंकिंग ये एक बड़ा महत्वपूर्ण पहलू है।
“हम कोई वस्तु देखते है तो विचार आते है। और विचार करने के बाद कोई वस्तु बनाते है।”
इसलिए हम कोई चीज की शुरुआत करते है तो एक साधन जरूरी होता है और वो है “विचार”।
सचिन नाचनेकरजी के बाते “पुस्तकनिष्ट या व्यक्तिनिष्ठ के आधार पर ना रहकर बुद्धिनिष्ठ बुद्धि का उपयोग करके उसके पीछे का आधार निकलना”।
धर्म-जात क्या है? उसका हमारे जीवन मे कैसे प्रभाव पडता है हमारे देश मे रोजाना धर्म-जात पर बहोत सारे किस्से सुनाये पढ़ते है। राम पुण्यानी जी ने धर्म और जात पर सिखाये हुए मत्वपूर्ण पैलू और उसके बारे में जानकारी हम पर बोहत सारा प्रभाव डाला।
हम जब किसी पॉलिसी पर काम करते है तो धर्म-जात को होने वाले लाभ एवं परिणाम अक्सर सोचना ये समझे।
जेंडर हमारे समाज का एक ऐसा हिस्सा बन गया है जिसको समाज देखता भी है, महसूस भी करता है और उसके साथ रहता भी है। इस जेंडर के चक्रव्यूह में हमारे समाज की महिला ही ज्यादा से ज्यादा फस चुकी है।
“तूम लड़की हो तुम्हे ये करना शोभा नही देता, तूम लड़के हो ऐसा करो मत..”
ऐसे बोल हमे रोज सुनाई देते है ऐसे ही सोच विचार को बाजू में रखकर उनके सोच विचार के मुद्दे ध्यान में रखना जरूरी लगता है।
समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जो हमारे जिंदगी से सालो से जुडा है वो है “वर्ग”।
उच्च वर्ग और निचला वर्ग ये समस्या बहुत सालों पुराने से देखी आ रही है। एक उच्च वर्ग निचले वर्ग पर काम थोप कर उसे कर्मचारी समझकर काम करवाता है इसके वजह से “अमीर अमीर होता जाता है और गरीब गरीब…”
यही सब तकलीफों को आज के युवाओं ने ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। हम कैसे इन समस्याओं से समाज को छुटकारा दे सकते है ये सोच हम सब साथी ये दस दिन में सिख गए थे।
और हमें ये सोच-विचार हमारे और लोगों के व्यक्तिगत जिंदगी में दिखाना है उसके लिए सब साथी एक साथ मिलकर हमारे समाज को और मजबूत बनाने के लिए पॉलिसी पर काम कर रहे है।
और ये जो हमारी गाडी चल पडी है वो अभी सिर्फ सुधारना करने के बाद भी चलती रहेगी।जिंदाबाद…
Rohan Surendra Kamble, BSc Computer Science, R. D. National College
3. कभी ना भुलुंगी वह दस सुवर्ण दिन
मुंबई-खारघर युवा सेंटर आयोजित युवाओं के लिये ४ मार्च से १३ मार्च तक रेसिडेंशल ट्रेनिंग तेरह मार्च को संपन्न हुई। यह सिटी कारवान कोर्स में १० दिन युवाओं के लिये विविध सेशन्स रखे गये थे।
इसमे क्रिटिकल थिंकिंग,अंडस्टँडिंग क्लास, अंडस्टँडिंग कास्ट अँड रिलीजन, अंडस्टँडिंग पॉलिसी, एंगेजिंग विथ पोलिसी,अँडस्टँडिंग जेंडर,वर्क इन द सिटी, सोशल मीडिया,स्पेशालिटी अँड लाईव्हलिहुड,अँडस्टँडिंग रिसर्च, रिसर्च टूल्स अँड अँप्लिकेशन, टॉक शो- धर्म,जाती,और रोजगार,डिबेट- सेल्फ एम्प्लॉयी इस द फ्युचर ऑफ द वर्क, फ्युचर ऑफ वर्क अँड गिग इकॉनमी, इत्यादी मुद्दे सिटी कारवान बॅच नंबर ६ ने सिखे और चर्चा की। कारवान की मुझे सबसे पसंद आने वाली बात यह है की, दिनभर जो सेशन्स होते थे,उनमे हम कभी बोर नही हुये। क्यूकी जितने भी रिसोर्स पर्सन हमें सिखाने आये,उन लोगों ने गेम्स द्वारे या सवाल जवाब लेकर हमसे बातचीत करके, उनके विषयों की जानकारी हमें दी।
कोर्स के दुसरे दिन यानी ५ मार्च २०२१ को जाती धर्म यह सेशन के बाद टॉक शो हुआ। इसमें युवाओं से चर्चा करने मुस्लिम समाज की महिला, सेक्स वर्कर, किन्नर,अकेली महिला(सिंगल पैरेंट) इनसे हुबेहूब बातचीत करने का मोका मिला। इन महिला या इंसानो को हमारे दरींदे समाज ने कभी अपनाया ही नहीं। इंसानो को इंसान की नजर से न देखते हुए उनको,गलत वृत्ती से देखने लगे, लिंग मे, वर्ण में, जाति में,धर्म मे, वर्ग मे भेदभाव करने लगे।
हम लोग समाज के इस हिस्से को अपने नजरिये से देखते है, और अपनी अपनी राय बना लेते है। क्या हम लोगो ने कभी इन लोगो को उनके नजरिये से देखा है? अगर देखोगे तो समाज को बेहतर घृणा से देखोगे। क्यूकी समाज ने मानव मानव में केवल भेदभाव किया है। उनसे बात करके तो देखो कि यह माहिलाये कितनी मानसिक रूप से स्वाभिमानी तथा शक्तिशाली होती है। सारे सेशन्स बहुत ही मजेदार और महत्वपूर्ण थे लेकिन टॉक शो यह सेशन ने मुझे बहुत ज्यादा ऊर्जा दी है, और यह ऊर्जा एक अनोखा नजरिया मैं मेरे भविष्य में कभी भुलुंगी नहीं। इसके साथ सारी बातो का आत्मसात करके, समाज में मेरा कार्य परिपूर्ण करुंगी।
इस कोर्स की महत्वपूर्ण जानकारी यह है की, यह कोर्स एकदम निशुल्क था। कोर्स में शामिल होकर मैंने बहुत कुछ सिखा है। हमारे समाज को देखने का नजरिया कैसे होना चाहिए? कोई सामाजिक समस्या या प्रश्नों को उनके मूल से कैसे समझना है ? इन बातो पर हम लोगों ने गौर किया। मुख्यतः इस कोर्स में स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, न्याय इन मूल्यों को सिखकर केवल न सिखे इसका आत्मसमर्पण किया। इस कोर्स में मेरे साथ हिस्सा लेने वाले सभी साथी एकदम बेहतरीन थे। जिनकी उम्र छोटी थी उनके विचार या उतनी ही गहरी थी। छोटी सी छोटी बात को गहराईयो मे जाकर उस बात को छानना। और उसके बाद निष्कर्ष निकालना यह महत्वपूर्ण बात मैं इस कारावास में सिखी हु। इन सभी मुद्दे पर चर्चा करके करावा मे शामिल हुये युवक को एक विषय पर (सामाजिक समस्या या अपने बस्ती के प्रश्नों पर) संशोधन करना है।
तथा हमारे साथ युवा संस्था के साथी भी जुड़े,हमें सिखाने के साथ साथ ही उन्होंने करावा मे शामिल हुये युवकों को, बेहद ही अपने पन से हमारी देखभाल की है।
मैं बहुत प्रसन्न हूँ की मुझे करवान में शामिल होने का स्वर्ण मौका युवा ने दिया।
Kajal Chhaya Rohidas, Journalism — Sathaye College; Kajal also works with YUVA Urban Initiatives City Childline and has been a journalist of Satyamev Jayate Varta YouTube channel
This is the first in a two-part series. Read part II here.