उम्मीदों पर जग कायम है।

एक महिला होना कितना मुश्किलों भरा है? और जब वह कोई स्थलांतरित महिला हो, अल्पसंख्यक हो और अकेली यानी समुदाय के साथ रहने वाली न हो, तब हम कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन यह कहानी है ऐसे ही परेशानियों से लड़ने वाली सेरीना खातून की, जिन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता। उनके दादाजी पश्चिम बंगाल से काम की तलाश में खारघर के बेलपाड़ा इलाके में एक आदिवासी पाड़ा के करीब आकर बस चुके थे। सेरीना जी को यहाँ आए हुए कितने साल हो गए हैं, यह पता नहीं, लेकिन उनकी उम्र ४० साल है। सेरीना जी के जन्म के पहले से ही उनका परिवार बेलपाड़ा में रहता था, लेकिन शुरुआत से ही कुछ लोगों को उनके वहाँ रहने से दिक्कत थी। कई बार सेरीना जी के दादाजी को वहाँ के लोगों ने भगाने की कोशिश की, धमकी दी, लेकिन वक्त के साथ-साथ सेरीना जी ने हार नहीं मानी और वहाँ अपने पति और बच्ची के साथ रहने लगीं।
पिछले एक-दो साल से सेरीना जी बिजली कनेक्शन के लिए प्रयास कर रही थीं और कई दफ़ा दफ़्तरों के चक्कर लगाने पड़े। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में उनसे कुछ पैसे मांगे गए थे। उन्होंने 10–15 हजार रुपये देने की कोशिश की, लेकिन उनके मुताबिक बाद में 40 हजार रुपये तक की बात कही गई। घरेलू काम करने वाली सेरीना जी अकेली ही काम करती हैं। उनके पति को पहले ड्रेन ब्लॉक हुआ, फिर एक बार हार्ट अटैक आया, और अब उन्हें लकवा (पैरालिसिस) मार गया है। उनकी बच्ची छठी क्लास (6वीं) में पढ़ती है। इतने 40 हजार रुपये सेरीना जी लातीं कहाँ से? इसी दरमियान उन्होंने अधिकारियों को 5,000 रुपये भी दिए।
युवा के पनवेल में काम करने वाले साथी जब बस्ती अवेरनेस कर रहे थे, तभी उनका प्रचार पत्र किसी महिला के जरिए सेरीना जी तक पहुंचा। कुछ दिनों बाद सेरीना जी युवा सेंटर आईं और पनवेल के साथियों से मिलीं। तब से ही युवा साथी सेरीना जी के साथ उनके काग़ज़ात, बस्ती में संगठन, और फिर बिजली के कनेक्शन के लिए प्रयास कर रहे थे। फरवरी 2025 में बिजली कनेक्शन के लिए स्थानीय बिजली विभाग में आवेदन किया गया। सेरीना जी बताती हैं कि प्रक्रिया के दौरान कुछ चुनौतियाँ आईं।
करीब 10 दिनों की कोशिशों के बाद, एक निजी ठेकेदार की मदद से उन्हें ज़रूरी कागज़ों और प्रक्रिया की जानकारी मिल सकी। सेरीना जी जिस क्षेत्र में रहती हैं, वह नगरपालिका के अंतर्गत आता है, इसलिए वहाँ से NOC प्राप्त करना ज़रूरी था। प्रक्रिया में समय लग रहा था और अधिकारियों से मिलने में भी विलंब हुआ, जिस कारण NOC मिलने में लगभग दो महीने लग गए। इसके बाद भी बिजली कनेक्शन के लिए स्थानीय कार्यालय से स्वीकृति मिलने में कुछ और बाधाएं आई।
युवा की तरफ से बिजली विभाग के उच्च अधिकारी को एक लिखित निवेदन सौंपा गया, जिसके बाद 2 हफ्ते बाद खारघर ऑफिस से कनेक्शन लगवाने के लिए फील्ड जांच की प्रक्रिया की गई। स्थानीय समुदाय के कुछ लोगों ने सेरीना जी के खिलाफ आपत्ति जताते हुए बिजली कनेक्शन को लेकर शिकायत दर्ज की। शिकायत में उनके निवास की वैधता और पहचान से जुड़ी गंभीर बातें उठाई गईं।इस पर संबंधित बिजली विभाग की ओर से वार्ड कार्यालय को पत्र भेजा गया, जिसमें सेरीना जी के मामले में दस्तावेज़ों की जांच कर 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का अनुरोध किया गया।
18 जून को बिना किसी जांच के सेरीना जी के घर वार्ड ऑफिस से NOC रद्द करने का पत्र मिला। इसके बाद युवा साथी सेरीना जी के साथ वार्ड ऑफिस और बिजली विभाग गए और वहां पूरी जानकारी ली। बातचीत में जब हमने संबंधित नियमों और प्रक्रिया के बारे में बताया, तो अधिकारी ने हमारी बात को समझा और भरोसा दिलाया कि अगली सुबह सेरीना जी को बिजली का कनेक्शन मिल जाएगा। क्योंकि वार्ड ऑफिस की ओर से दस्तावेजों की जांच नहीं हुई थी और कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया था। अंत में, 19 जून की सुबह 11 बजे खारघर बिजली विभाग की टीम ने सेरीना जी के घर बिजली कनेक्शन जोड़ दिया।
कनेक्शन लगने पर सेरीना जी की आंखें नम थीं, और उन्होंने बहुत खुशी से युवा साथियों को शुक्रिया कहकर अलविदा किया।
