युवा संस्थाद्वारा बाल अधिकार महीने ( नोव्हेंबर), २०१८ के दरमियाण चलाया जा रहा अभियान है, जिसमे हम शहर में अलग अलग परिस्थिती में रहने वाले बच्चो के आवास और उससे संबंधित मुद्दे तथा सवालों को लेकर सामाजिक जागृती और उसके संबधित चर्चाए, पथनाट्य, मानवी शृंखला और समाज माध्यमो के द्वारा वर्णनात्मक विश्लेषण करेंगे l
यह अभियान क्यों?
बच्चे समाज का एक महत्वपूर्ण भाग है, समाज में जितने भी राजकीय, आर्थिक, सामजिक, सांस्कृतिक बदलाव होते है उन सभी का बच्चो पर और उनके भविष्य पर गहरा असर पड़ता है l २०११ के जनगणना के अनुसार हमारे देश में ३९ प्रतिशत जनसंख्या १८ साल से कम उम्र के बच्चो की है l इनमे से १२८.५ दशलक्ष बच्चे शहरो मे रहते है l शहरो में ०-६ साल के ७.८ दशलक्ष बच्चे आज भी गंभीर गरीबी में और बिना किसी मुलभुत सुविधाओं के मानवी बस्तियों में रह रहे है, जिन्हें हम झुग्गी बस्ती कहते है l दर्जाहीन शहरी नियोजन की वजह से समाज के विविध नागरिको को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है, पर इसका सबसे गहरा असर बच्चो के जिंदगी पर होता है l २०११ के जनगणना के अनुसार १५ दशलक्ष बच्चे प्रवासी( Migrant ) हैl इसके बहोत से कारण है, उनमे से कुछ कारण है की, रहने के लिए घर न होना, अपनी खुद की पहचान न होना, सरकारद्वारा पोहोचायी जानेवाली सुविधा उनतक ना पहुच पाना, स्वास्थ्य और शिक्षा से वंचित रहना, जात-पात, धर्म और लिंग के नाम पर भेदभाव का सामना करना l जिन बच्चो के अधिकारों का ज्यादा हनन होता है उनको सबसे ज्यादा सुरक्षा की जरुरत होती है l शहर में घर और अच्छा आवास यह बच्चो के लिए सुरक्षा भी है और उनके अच्छे विकास के लिए जरुरी पहल भी l
शहर में विविध परिस्थिती में रहने वाले बच्चो के आवास और उनकी सुरक्षा संबंधित शहर के नियोजन और व्यस्थापन के बारे में राजकीय इच्छा और शासन-प्रशासन द्वारा प्रयोजन भी कम दिखायी देते है l शहर में अत्यंत गरीब और कठिन परिस्थिती में रहने वाले नागरिको को घर और मुलभुत सुविधाओ की किल्लत, विस्थापन का या फिर दर्जाहीन पुनर्वसन का शिकार होना पड़ता है l इसमें बच्चो के जीने के लिए, उनका विकास होना और उनको सुरक्षित वातावरण मिलना बहोत ही मुश्किल है l इन परिस्थिती को सरकारी प्रणाली, अधिकारी, राजकीय प्रतिनिधी, सामाजिक संस्था, प्रसारण माध्यम, नागरिको तक पहुचाकर उनको जिम्मेदार बनाने का यह हमारा प्रयास रहेगा l
इस अभियान से हम यह हासिल करना चाहते है l
यह अभियान सिर्फ इस महीने तक सिमित न रहे, बच्चे शहर में जीने के लिए सुरक्षित, समावेशी और शाश्वत शहर बनाने हेतु इस अभियान को आगे लेके जाए l तथा सरकारी प्रणाली, अधिकारी, राजकीय प्रतिनिधी, सामाजिक संस्था, प्रसारण माध्यम, नागरिक इसमें उपस्थित रहकर बच्चो के संदर्भ में शहर में बढती हुई असमानता, मूलभूत सुविधाओ की किल्लत और उसके बच्चो पर होने वाले परिणाम को समझे l इस संदर्भ में जागरूक होकर निर्णय प्रक्रियाओ में, नीतिया या योजनाओ में बालकेंद्री प्रक्रियाओ को प्रोत्साहित करे जहा बच्चो की राय लेना और उसपर अमल करने के लिए सजग रहे l जिससे बाल मैत्रीपूर्ण शहर करने मे उनकी भूमिका उन्हे समझे l
इस अभियान को हम इस प्रकार चलाएंगे l
इस उद्देश्य को लेकर मानव शृंखला, पथनाट्यो का आयोजन कर रहे है l इस अभियान को अधिक बाल केंद्री और शहर से जुडाव करने हेतु बाल महोत्सव ( बाल मेलावा ) का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे शहर में विविध परिस्थिति में रहने वाले बच्चे शहर को उनके लिए रहने लायक तथा अधिक बाल प्रेमी बनाने हेतु पेनल के मध्यम से चर्चा करेंगे l इस चर्चा को सुनने और सुझाव के लिए स्थानिक नगरसेवक, बाल सुरक्षा व्यवस्थाओ के अधिकारी, मिडिया, अभ्यासक और सामाजिक संस्था उपस्थित रहेंगे l इसमें बच्चो के लिए शहर में महत्वूर्ण जगहों का प्रस्तुतीकरण कर रहे है l इसमें बच्चो के विकास और सुरक्षा के संबधित खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाएगा l
सभी बाल अधिकार संस्थाओ, राजकीय प्रतिनिधी, बाल सुरक्षा व्यवस्था के अधिकारी, मिडिया और अभ्यासको को एकसाथ लाकर शहर मे आवास, सुरक्षा और उससे संबधित मुलभूत सुविधाओ को मिलाने के लिये बच्चो की सह्भागीता और उससे संबंधित लोकशाहीपूर्ण जगाहो के निर्माण के बारे मे परामर्श का आयोजन किया जायेगा l
इस दरमियान सामजिक माध्यमो के माध्यम से बच्चो के लिखे हुए कोट्स और लेख भी प्रसिद्ध किये जायेगे l
यह अभियान शहरो को बच्चो के लिए जीने लायक और सुरक्षित बनाने के लिए विकास प्रक्रिया और उनकी परिस्थती, शहर के निर्माण की इच्छा को प्रस्तुत करने हेतु बच्चो के सहभागिता को बढावा दिया जा रहा है l इससे बच्चो के लिए शहर में आवास और सुरक्षित वातावरण के मुद्दों को लेख, प्रसारण माध्यम से विश्लेषण प्रस्तुतीकरण तथा सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है l इससे शहरो को बच्चो के लिए सर्वसमावेशी, न्यायपूर्ण, रहनेलायक और शाश्वत बनाने के लिए हम वैचारिक और ठोस पहल कर रहे है l
Pooja Yadav, Project Coordinator, YUVA