मेरा नाम समरीन शाह है और में लल्लुभाई कंपाउंड मानखुर्द में रेहती हु l लल्लुभाई कंपाउंड ये पुनर्वसित बस्ती है यहाँ पर घर और बस्ती के जगहों को लेकर बहोत सारी समस्या है l सबसे पहेले तो यहाँ बिल्डिंग बोहत नजदीक है l इसके कारण घर भी चिपक -चिपक कर है l हमें बिल्डिंग के बाहर खेलने के लिए जगह भी नहीं है और कोई बीमार है या एमरजेंसी होती है तो उस समय बिल्डिंग के पास आने के लिए भी जगह नहीं है l और घर आसपास होने के कारण गॅस फटता है तो आजूबाजू के घरों का भी नुकसान होता है, उस वक्त इतनी जगह भी नहीं है की अग्निशामक की गाड़ी आ सके और कूछ बिल्डिंग के ऊपर टॉवर भी लगे है l
हमारी बस्ती … हमारी समस्या …
जहाँ चॉल होती है वहाँ पर तो घर छोटे छोटे होते है l गल्ली से लोगो को आने जाने के लिए तकलीफ होती है और गल्ली के अंदर पाणी का पाईप होता है, काम भी उधर ही बाहर बैठकर करते है, कुछ भी बोलो लेकिन बिल्डिंग और चाली में जो लोग रहते है उनकी समस्या एक ही है वो ये है की उनके बच्चो को उसी छोटे घर में ही पढाई करनी होती है, टिव्ही देखना होता है, घर के लोगो को वही पर खाना भी पकाना होता है, बाथरूम भी उसी छोटे घर में होता है I ये सबखुछ एक ही चौकोन में करना है, बिल्डिंग में तो लाईट बिल ,पानी का बिल आदि सबकुछ का पैसा देना पड़ता है और हम सबका तो ठीक है पर जो लोग सड़क पर रहते है उन्हें तो कितनी परेशानिया होती है। रोज कोई न कोई आकर हफ्ता लेता है और अगर नहीं देंगे तो उनका छपरा तोड़ डालते है. उनको सही वक्त पर खाना नहीं मिलता, कितने बच्चो को कुपोषण का सामना करना पड़ता है। और कुछ लोगो के तो रेलवे स्टैशन के पास रेहते है तो उनके बच्चे रेल्वे लाइन पर जाकर खेलते है जो बहोत ही खतरनाक है, कितने सारे बच्चे ऐसे भी है जो बालमजदूरी करते है और सड़क पर होने के कारन वो लोग रस्ते पर खेलते है जिससे हादसे होते है, कुछ बच्चे तो स्कूल भी नहीं जाते। पर ये सारे लोग सड़क पर क्यू आते है? क्यू की सरकार जब इनका घर तोड़ती है तो सिर्फ आधे लोग को ही घर मिलता है और आधो को फिर खुद घर बनाकर सड़क पर रहना पड़ता है और फिर ये सब कुछ होता है अगर सरकार के पास जगह नहीं है तो जो लोग जहाँपर पहिले से सेटल है उन्हें पुनर्वसित क्यू करती है..?? उन्हें उसी जगह पर एक अच्छी बिल्डिंग बनाकर देना चाहिए तो लोगो को कोई भी टेंशन नहीं होगा। सरकार हमेशा देश का विकास सोचकर कुछ नया उपाय करती है और लोगो के घर तोड़ती है और कही दूसरी जगह उन्हें पुनर्वासित करती है।
बढ़ती इमारते और घटते मैदान …
हमारे लल्लूभाई कंपाउंड में तो बच्चो को खेलने के लिए मैदान भी नहीं है, दो ही मैदान है, उसमें से एक मैदान एम्एम्आरडीए (MMRDA) के अंडर में है वहा पर भी टॉवर वाली बिल्डिंग बाँधने की कोशिश कर रहे है और जो दुसरा है वो तो बहोत गंदा है और वहां सिर्फ लड़के ही खेलते है, लड़किया नहीं खेलती.. क्यू की वहां छेड़छाड़ होती है और बहोत ऐसे लोग है जो वहा नशा करते है। इसलिए हम लोग जल्दी से बाहर नहीं निकलते, घर में ही ज्यादातर अपना समय बिताते है। हमें घर में ही खेलना और पढ़ना पढता है और घर में तो हम न कबड्ड़ी खेल सकते ना ही क्रिकेट, या फुटबॉल और ना ही खो खो आदि जैसे मैदानी खेल जो की हमारे शरीर के विकास के लिए बहोत जरूरी है और ना हीं हमें हमारा सहभाग का अधिकार मिलता है और ना हीं विकास का अधिकार मिल रहा है और ना हीं सुरक्षा का अधिकार मिल रहा है। अगर हमें हमारी ही बस्ती ही असुरक्षित लग रही है तो सुरक्षा कहा है ? जब भारत के संविधान ने हमें सारे अधिकार दिए है तो वो सब हमें मिलने चाहिए। हमें वही छोटे से घर में सबकुछ करना पड़ता है तो फिर हमारा स्किल्स डेवलपमेंट कहा हो रहा है..? ये तो हमारे अधिकार का हनन हो रहा है और मेरे नजर में ये भी मुझे एक तरह से हिंसा ही लग रही है।
हमारी बिमार बस्तिया …
हमारे बस्ती में इतनी गन्दगी है की इस गंदगी के वजह से आधे से ज्यादा लोग बिमार हो रहे है। हमारे बस्ती में टीबी के मरीज़ बड़े पैमाने पर है इस के अलावा और भी बहोत अलग अलग तरह की बीमारिया फैल रही है जिसकी वजह से हमारे बस्ती के बहोत लोग मर रहे है। लेकिन इसकी और भी दूसरी एक वजह है, बस्ती के आसपास सरकारी अस्पताल की कमी। हमारे बस्ती में सिर्फ एक ही अस्पताल है, जो जहा कि सरकारी नहीं है और वहा फिस बहोत ही अधिक है I वहा पर सर्वसाधारण लोग कैसे अपना इलाज करेंगे ? हमें एक ऐसी बस्ती चाहिए जहाँपर हमें सारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो..I
हम बच्चे क्या चाहते है …
मुझे हमारी बस्ती में एक सुरक्षित माहौल चाहिए और मुझे मेरा घर बड़ा चाहिए और घर में पढाई के लिए अलग सा कमरा होना चाहिए, किचन भी अलग होना चाहिए। मुझे हमारी बस्ती सुरक्षित और साफ़-सुथरी चाहिए। ये हम सरकार से अपेक्षित करते है और हर बस्ती में बच्चो की सुरक्षा को लेकर ‘बाल संरक्षण समिती’ और ‘बाल संसाधन केंद्र’ भी होना चाहिए। अगर हम बस्ती को सुरक्षित बनाना चाहते है तो बच्चो का सहभाग भी होना चाहिए और संघटन भी होना चाहिए। तो ही हम सही मायने में सुरक्षित, बालकेंद्री बस्ती का और शहर का निर्माण कर सकते है I
बाल शक्ती जिंदाबाद … !! बाल एकता जिंदाबाद !!
समरीन शाह, BASS Leader