वर्तमान घटनाक्रम के बीच Together We Can अभियान की स्थिति
बढ़ता संकटकाल
महाराष्ट्र में COVID-19 मामलों में तेज़ी से बढ़ती हुयी संख्या — अब तक 116 और 21 मार्च 2020 की मध्यरात्रि से महाराष्ट्र के सभी शहरी क्षेत्रों में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से मुंबई और उसके पड़ोसी शहर एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहे हैं|
मुंबई महानगर क्षेत्र, जो अपनी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के मुश्किल दौर में भी चलते रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है, उसने 20 और 21 मार्च की रात को लाखों लोगों को इस शहर को खाली करते देखा, उनमें से ज्यादातर लोग अनौपचारिक/असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले थे। इस तरह के वातावरण में जहाँ वायरस और नौकरी की संभावनाओं की कमी के बारे में घबराहट पहले ही बढ़ रही थी, वहीं लॉकडाउन की घोषणा ने तेज़ी से स्थलांतर को बढ़ावा दिया, जिस वजह से कामगारों में रोज़गार, खोने और वेतन में कटौती को लेकर जो चिंताएँ थीं वो उन्हे सच होती नजर आ रहीं थीं।
हमारे प्रयास
इस सप्ताह के शुरू में हमने यह अनुभव करना शुरू किया कि मुंबई महानगर में हम जिन लोगों के साथ हम काम करते हैं वे रोज़गार की कमी की वजह से अधिक वंचित हो रहे थे। 18 और 19 मार्च को 20 से अधिक बस्तियों में किये गए निरीक्षण के माध्यम से लोगों की चिंताओं को समझने में हम कामयाब हो गए थे — अधिक जानकारी के लिए हमारे पिछले ब्लॉग में इसके बारे में पढ़ें — और इसलिए लोगों की सहायता के लिए (सबसे वंचित परिवारों तक आपातकालीन राहत पहुँचाने के लिए) Together We Can नामक अभियान की शुरुवात की ताकि जनता के समर्थन को राहत प्रयासों में बदला जा सके|
यह अभियान उन परिवारों तक पहुंच रहा है जो जीवित रहने के लिए भीख मांगने के लिए मजबूर हैं, जो घर में काम करने वाले कामगार हैं, जो रोज़गार के लिए बढ़ई का काम करते हैं, कचरा बीनने का काम करते हैं, जो घरेलू कामगार हैं, फर्नीचर बनाने का काम करते हैं, मॉल में हाउसकीपिंग, सेल्स पर्सन का काम करते हैं, छोटे होटलों में वेटर या रसोइये के रूप में काम करते हैं, जो सामान डिलीवरी करने वाले, दर्जी या दुकानदार आदि हैं।
जब हमने 20 और 21 मार्च को वितरण के काम की शुरुवात की, उस ही वक़्त हमने 400 से अधिक घरों और परिवारों का सर्वेक्षण भी किया। नीचे दिया गया हमारा ट्वीट दर्शाता है कि हमने अब तक कितने परिवारों का सर्वेक्षण किया है और कितने लोगों तक अनाज पहुँचाने में हम कामयाब रहे हैं, इस सब के लिए जिन लोगों ने सहायता की उन सभी का धन्यवाद! हमारे वितरण प्रयास कुर्ला, सायन, दादर, माटुंगा, बांद्रा और जोगेश्वरी के बेघरों के बीच हुए हैं और नवी मुंबई और पनवेल में झुग्गी बस्तियों में हुए हैं।
हमारे राहत कार्य की पहुँच: वर्तमान में हम 940 (4700 से अधिक व्यक्तियों) तक पहुंच चुके हैं; मालवणी, मानखुर्द, वाशी नाका और नवी मुंबई में बस्तियों में जिन्हें सच में सहायता की ज़रुरत है ऐसे कुछ परिवारों तक भी हम पहुंच रहे हैं।
लगभग तीन दिन पहले हमने जिन चुनौतियों के बारे में बात की वो आज भी मौजूद हैं, विशेष रूप से उन वंचित समूहों में जो बेघर हैं और जिनके पास आय का कोई निरंतर स्रोत नहीं है। यह ऐसे समूह हैं जिनके लिए अपने गाँव वापस जाने जैसा कोई विकल्प भी नहीं है। यह मुश्किल परिस्थिति उन लोगों के लिए सबसे कठोर है जो पहले से ही आर्थिक रूप से वंचित थे।
मुलुंड की एक बस्ती में कुछ व्यक्तियों की COVID -19 की जांच के परिणाम सकारात्मक निकले। उसके बाद अन्य बस्तियों के कई निवासियों ने बताया कि उन्हें उन इमारतों के करीब भी आने की अनुमति नहीं थी जिसमे कभी वो काम किया करते थे।
जोगेश्वरी में हमारे वितरण प्रयासों में, हम ऐसे एक परिवार का पता लगाने में असमर्थ रहे जो सर्वेक्षण में अनाज के लिए पात्र था। बाद में, जब उस परिवार ने हमसे संपर्क किया, तब हमें पता चला की वितरण के समय वे क्यों उपलब्ध नहीं थे। घर की महिला ने बताया कि वे सभी पानी इकट्ठा करने गए थे, क्योंकि बस्ती में पानी का कनेक्शन नहीं है। “भोजन की आवश्यकता अधिक है लेकिन पानी की जरुरत अपरिहार्य है” उन्होंने कहा।
जहा हमारे राहत कार्य एक अस्थायी पर्याय दे रहे हैं, वहीं अधिकतर लोग लंबे समय तक चलनेवाली कई मुसीबतों से (जैसे पानी की कमी, भूख, बढ़ती गरीबी, बीमारी) अब भी सुरक्षित नहीं हैं। इस संकट की दीर्घायु देखते हुए, शहरी ग़रीबों की स्थिति एक निरंतर चिंता का विषय बन गयी है।
राहत के वितरण के काम के संदर्भ में, कृषि उपज मंडी समिति (ए.पी.एम.सी.) वाशी इस सप्ताह कुछ दिनों के लिए बंद रही, जिसकी वजह से सामान लोड करने वाले ‘माथाड़ी कामगार’ और सामान पैक करने वाले पैकर्स काफी कम उपलब्ध थे। ऐसे में काम की गति धीमी हो गयी है| इसके अलावा, 23 मार्च से मुंबई के स्थानीय ट्रेनों में सिर्फ आवश्यक सेवाओं के प्रावधान में जुड़े कामगारों को ही यात्रा करने की अनुमति दी गयी है| जिस कारण खेतों से सब्जियों का परिवहन भी धीमा हो सकता है। हालाँकि, हम अपने काम से प्रतिबद्ध हैं और जल्द से जल्द इन समुदायों तक पहुचने का प्रयास कर रहे हैं, वो भी पर्याप्त सावधानी और सुरक्षा सामग्री के साथ|
महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदम
महाराष्ट्र सरकार द्वारा पिछले कुछ दिनों में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। सरकार ने निर्देश दिया है कि राशन की दुकानों का प्रावधान तीन महीने के लिए किया जाए और उसमे प्याज़ और आलू भी जोड़ दिए जाएँ| मुंबई उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि नगर निकाय बस्तियों में किसी भी तरह की जबरन बेदखली को रोक दे। इसके अतिरिक्त, लेबर कमिश्नर, महेंद्र कल्याणकर ने सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों से आवेदन करते हुए एक परिपत्र जारी किया, जिसमे वे अनुरोध करते हैं कि किसी भी कर्मचारी को, विशेष रूप से आकस्मिक (कैजुअल) या ठेके पे काम करने वाले (कोंट्रेक्चूअल), उनकी नौकरी से ना निकाला जाए और ना उनके वेतन को कम किया जाए|
हम सरकार द्वारा लिए गए इन निर्णयों का स्वागत करते हैं और साथ ही में दैनिक वेतन और अनौपचारिक कामगारों के कल्याण के लिए मज़बूत उपायों की मांग भी कर रहे हैं, विशेष कर इस तरह के हालातों में। हम जिस संकट से जूझ रहे हैं उसमे समाज के अलग-अलग भूमिका निभाने वाले समूहों को साथ आकर काम करने की जरुरत है| हमें आशा है कि लोगों के संपर्क के प्रयास से हम कुछ सकारात्मक परिणामों तक पहुँच सकते हैं।
दूर रहकर एकसाथ आना
विभिन्न समाजिक संस्थाओं ने एक साथ आकार व्यवस्थित रूप से उन क्षेत्रों में राहत का काम शुरू कर दिया है जहाँ वो पहले से काम करती हैं, और कई सारे समूह यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि सरकार अपने नागरिकों की ज़रूरतों के लिए उत्तरदायी रहे। इनमें से कई प्रयास ऐसे है जो अभी भी आकार ले रहे हैं।
स्थिति की गंभीर प्रकृति शहर के विशाल शहरी गरीब आबादी की तत्काल सुरक्षा के लिए तत्पर रहने की जरुरत दर्शाती है| हालाँकि इस समय शारीरिक रूप से दूरियाँ बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन शहर में चल रही इस मुश्किल के हल ढूंढने के लिए सामाजिक रूप साथ मिलकर प्रयास करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है|