टुगेदर वी कैन का मौजूदा विवरण: स्प्रेड लव नॉट कोरोना और उससे जुड़े प्रयास
भारत की COVID-19 की गिनती अब ६००० को पार कर गई है और महाराष्ट्र में सबसे अधिक १३८५ मामले पाए गए हैं। जैसे कि भारत का २१ दिन का लॉकडाउन जारी है और संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए इसे कई जगहों पर बढ़ाया भी जा सकता है, ऐसी परिस्थिति में शहरी गरीबों की दुविधाएँ और भी बढती जा रही हैं| ऐसे कई परिवार हैं जो आजीविका के लिए असंघटित क्षेत्र में काम करते हैं, उनमे से लाखों लोग अब अपनी नौकरियाँ खो चुके हैं और उनकी अल्प बचत राशी भी तेज़ी से घट रही है, जिससे वे जरुरत के खाने का सामान तक नहीं खरीद पा रहे हैं | हालांकि कुछ स्थलांतरित श्रमिक अपने घर तक पहुचने में कामयाब रहे हैं, लेकिन देश भर में और ऐसे कई श्रमिक हैं जो आर्थिक केंद्रों में एक बड़ी संख्या में फंसे हुए हैं, जिनके पास अभी किसी भी प्रकार का रोजगार नहीं है और इसलिए खाना जुटाने का कोई साधन भी नहीं है| जितना जरुरी इस वायरस के संक्रमण को रोकना है, लोगों की भूक और मूलभूत जरूरतों (जैसे पानी और स्वच्छता) को पूरा करना भी उतना ही जरुरी है|
शहरी गरीबों के लिए हमने जो राहात कार्य शुरू किया था उसका आज तीसरा हफ्ता है| हम क्या करने में कामयाब रहे हैं ये जानने के लिए कृपया ब्लॉग #1, #2, #3, #5, #6, #7, #8 पढ़े| इस पहल के द्वारा हम इस समस्या से संबंधित दुसरे मुद्दों पर भी काम करने की कोशिश कर रहे हैं (इसके बारे में निचे पढ़ें)।
यह ब्लॉग पिछले सप्ताह के दौरान हमारे प्रयासों का सारांश प्रस्तुत करता है (इनमें से कई प्रयासों में अलग अलग सहयोगियों ने सहायता की है), और हम इस पहल को किस तरह आगे ले जाना चाहते हैं इसके बारे में जानकारी देता है।
पिछले सप्ताह का सारांश
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· हमारे आपातकालीन राहत प्रयास अब ६१४६ शहरी गरीब घरों (कुल ३०,७३० लोगों) तक पहुंच चुके हैं। जब हमने राहत के प्रयास शुरू किए थे तो हमने साप्ताहिक राशन किट प्रदान किया था। हालांकि, संकट की दीर्घकालीन प्रकृति को देखते हुए हमने अब मासिक राशन का वितरण शुरू कर दिया है। प्रत्येक राहत किट में चावल, गेहूं, दाल, खाना पकाने का तेल, नमक, साबुन आदि शामिल हैं और एक किट की कीमत लगभग २,००० रुपये है। ६,१४६ में से ८२१ किट्स हमारे सहयोगी आजीविका ब्यूरो, सेव द चिल्ड्रन इंडिया, करी स्टोन फाउंडेशन, जीवन बचाओ आंदोलन (माहुल), प्रयास और सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस की मदद से बांटे गए हैं, जिन्होंने परिवारों की पहचान करने में और राहत किट उन तक पहुचाने में मदद की।
· ब्लू सी केटरिंग और बैंक्वेट्स के साथ साझेदारी में हम मुंबई महानगर के विभिन्न हिस्सों में दैनिक रूप से पकाया हुआ भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।
1. पका हुआ भोजन हम पुलिस कर्मचारी और सरकारी अस्पतालों के कर्मचारियों तक पहुंचा रहे हैं — फ्रंटलाइन हीरो जो COVID-19 के संकट को दूर करने के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं, और जिनके लिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन तक अच्छा और पौष्टिक भोजन पहुंच पाए| हर दिन हम ९,००० से अधिक भोजन (दोपहर और रात के लिए) विभिन्न अस्पतालों और पुलिस स्टेशनों तक पहुचाते हैं। अब तक हमने इस तरह के ६५,००० से ज्यादा भोजन वितरित किए हैं।
2. नवी मुंबई में निर्माण स्थलों पर रहने वाले स्थलांतरित श्रमिकों और उनके परिवारों को पकाया हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। रोजाना इस तरह के कुल ८,००० भोजन (दोपहर और रात के लिए) लोगों तक पहुचाए जाते हैं। अब तक हम ऐसे ४०,००० भोजन प्रदान कर पाए हैं।
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3. भिवंडी (ठाणे) में फंसे पावरलूम श्रमिकों को पकाया हुआ भोजन भेजा जा रहा है। हमने १,५०० स्थलांतरित कामगारों और परिवारों के लिए प्रतिदिन ३,००० भोजन (दोपहर और रात के लिए) देने से शुरुवात करी थी, और अब यह संख्या बढ़कर ८,००० भोजन प्रतिदिन तक पहुंच गयी है। हमने अब तक कुल १२,००० ऐसे भोजन उपलब्ध कराए हैं। यह पहल ‘द वायर’ की पत्रकार सुकन्या शांता ने की थी, जिन्होंने एक शाम पावरलूम के कामगारों से मिलने के बाद हमको संपर्क किया। इस संकट पर की गयी उनकी जानकारीपूर्ण पत्रकारिता के बाद, समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों ने जल्दी से सेटअप किया और इस पहल को आगे बढ़ाया। यह पहल यूथ फीड इंडिया के अनीश गावंडे और स्थानीय पावरलूम संघर्ष समिति के सहयोग से की गयी।
· हमने म्युनिसिपल कारपोरेशन ऑफ़ ग्रेटर मुंबई (एम.सी.जी.एम.) के साथ किये गठबंधन द्वारा मुंबई के एफ-नॉर्थ और साउथ वार्डों में फंसे स्थलांतरित श्रमिकों के कॉल पर उनको राशन पहुचाने का काम भी कर रहे हैं।
· हमें अब तक मुंबई महानगर क्षेत्र और उससे आगे के क्षेत्रों से भी स्थलांतरित लोगों से १५० से ज्यादा कॉल आये हैं। हमने पिछले १० दिनों में इन कॉल्स की संख्या में बढौती देखी है, क्योंकि लोगों के पास जो खाने का सामान है और जमा की गयी रकम है वो ख़त्म होती जा रही है| हमारे पास इन अनुरोधों को देखने वाली एक छोटी टीम है, जिन्हे या तो युवा की टीम द्वारा हल किया जाता है या अन्य सहायक नेटवर्क जो मदद कर सकते हैं उन तक पहुचाया जाता है। अब तक हम लगभग ४० अनुरोधों को संबोधित करने में सक्षम रहे हैं और बचे हुए अनुरोधों पर काम करने की योजना बना रहे हैं।
· युवा अर्बन इनिशिएटिव्स, चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन का एक पार्टनर है और १०९८ आपातकालीन हेल्पलाइन पर चुनिंदा क्षेत्रों में संकटग्रस्त बच्चों के लिए आने वाले कॉल को लेता है और उनपर काम करता है। पिछले कुछ दिनों में हेल्पलाइन ने कॉल की प्रकृति में परिवर्तन देखा है, बच्चों तक भोजन पहुंचाने के लिए ७० से अधिक कॉल प्राप्त किए गए हैं और इन अनुरोधों को स्थानीय भागीदारों से जोड़ा गया है जो मदद कर सकते हैं।
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· अन्य शहरों में भी हमारी टीमें स्थानीय भागीदारों के साथ काम करके राहत प्रयासों को आगे बढ़ा रही है।
1. नासिक में युवा संस्था और युवाओं के संघटन अनुभव शिक्षा केंद्र के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में जरूरतमंद परिवारों को भोजन वितरित कर रहे हैं।
2. नागपुर में जिन बस्तियों में हमारा काम चल रहा है (जैसे कि कलमना बस्ती, नागराज नगर, पिली नदी, और अन्य बस्तियाँ), उन अनौपचारिक बस्तियों में जरूरतमंद परिवारों के नाम हमारी टीम नागपुर महानगर पालिका (एन.एम.सी.) को प्रदान करने का काम कर रही है। एनएमसी इन घरों के लिए पके हुए भोजन (दोपहर और रात के लिए) का प्रावधान कर रही है। युवा और शहर विकास मंच मिलकर उत्तरी नागपुर में राशन की दुकानें कितनी अच्छी तरह से चल रहीं हैं इसकी जांच करने में कलेक्टर की मदद कर रहे हैं|
3. गुवाहाटी में हम पाताडिक नारी समाज (एक महिला सामूहिक) और एस.पी.यू. कर्मियों, असम पुलिस के नेतृत्व में जो भोजन वितरण अभियान चल रहा है उसमें सहयोग कर रहे हैं| युवा टीम ने जरूरतमंद परिवारों की पहचान की है और पहले से ही दैनिक राशन के साथ भूतनाथ क्षेत्र, उज़ान बाजार, और एम्सिंग में नबज्योति नगर और कैलाशपुर (कुल 300 घरों) में पहुंच गई है।
हमारे काम को #InspireIndia सीरीज़ और मीडिया ने लोगों तक पहुंचाया
७ अप्रैल को आपातकालीन राहत कार्य और दीर्घकालिक पुनर्वास के प्रति हमारे प्रयासों को मिरर नाओ (Mirror Now) द्वारा चलाये जाने वाले उनके इंसपायर इंडिया सेगमेंट में कवर किया गया। इस सत्र के एक छोटे खंड को देखने के लिए और हमारी कार्यकारी निर्देशक रोशनी नुग्गेहल्ली के मुख्य बातों के साथ-साथ ट्वीट्स को पढ़ने के लिए बाजू में दिए चित्र पर क्लिक करें। रोशनी ने यह भी बताया कि किस तरह से शहर में बढती स्वयंसेवा की भावना की वजह से जरुरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचा पाना संभव हो पा रहा है|
हमारे आपातकालीन राहत के प्रयास जारी हैं, और उसी के साथ हम यह कार्यनीति भी बना रहे हैं कि इस संकट से लंबे समय तक लड़ने के लिए क्या प्रावधान किया जाने चाहिए और समुदायों और अधिकारियों के साथ साझेदारी में प्रभावी पुनर्वास उपाय क्या हो सकते हैं। हमें हर वार्ड के लिए व्यापक हस्तक्षेप कार्यनीतियों की आवश्यकता है जो कई आवश्यक्ताओं और पहलुओं को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए जैसे कि समुदायों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य और स्वच्छता, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के तरीके और इसे पुनर्जीवित करने के उपाय, मोबाइल सेवाओं (स्वास्थ्य, राशन सुविधा आदि) के लिए योजना और कार्यान्वयन ताकि लोग घर पर रहना जारी रख सकें।
पिछले कुछ हफ़्तों में हमारा काम को कई मीडिया द्वारा कवर भी किया गया जैसे हिंदुस्तान टाइम्स, फ़र्स्टपोस्ट, लाइवमिंट, द हिंदू, लोकसत्ता आदि।
आगे की ओर देखते हुए
हमारे राहत के लिए राशी जमा करने की पहल Milaap m-lp.co/yuva1 और Ketto https://bit.ly/SpreadLoveNotCorona पर जारी है और हम उपर्युक्त कोशिशों पर इस समर्थन का उपयोग करना जारी रखेंगे। हम नगरपालिका, राज्य और केंद्रीय स्तर पर सरकार के साथ अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के प्रयासों को जारी रख रहे हैं ताकि वंचित समूहों के बेहतर कल्याण और संरक्षण की मांग जारी रहे, और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रतिनिधियों और अन्य गैर-लाभार्थी संस्थाओं से संपर्क कर रहे हैं कि राहत के काम में समय और सामान बेवजह खर्च ना हो। अभी हम राहत के प्रयासों पर ध्यान देना जारी रख रहे हैं क्योंकि सरकार द्वारा किये जानेवाले प्रावधान चरणों में ही लागू हो रहे हैं और अप्रैल के मध्य से ही चालू हो पाएंगे।
धन्यवाद
कई सहयोगियों, शुभचिंतकों, नेटवर्क, संगठनों, प्रशासनिक अधिकारियों (एम.सी.जी.एम., एन.एम.एम.सी., नागरिक सुरक्षा विभाग, महाराष्ट्र) और अनगिनत अन्य लोगों के समर्थन से हमें अपना काम जारी रखने और मजबूत बनाने में मदद मिली है। हम उनमें से हर एक को धन्यवाद देना चाहेंगे।
हम के-स्टार बैंक्वेट, जुवेका पांडा, मनीलाइफ फाउंडेशन, विक्टर टैंगो प्रोडक्शन के वैभव मोदी, ज़ोमैटो फीडिंग इंडिया, स्विगी, महिंद्रा फाउंडेशन, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, इंडिया बुल्स, रिलायंस फाउंडेशन और एस्सर फाउंडेशन को भी धन्यवाद करना चाहते है जिन्होंने आवश्यक सामान देकर हमारी मदद की और अन्य कई लोग जिन्होंने विभिन्न तरीके से इस राहत कार्य में अपना योगदान दिया| आपूर्ति प्रबंधन से लेकर वितरण तक और राहत कार्यों के हर चरण में मदद करने वाले हमारे सभी स्वयंसेवकों को एक बड़ा धन्यवाद। हम आगे के दिनों में और भी ज्यादा कार्य करने की आशा रखते हैं|
रोहन चव्हाण द्वारा अंग्रेजी से अनुवादित