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Governance

स्वच्छ भारत मिशन के चरण 2 को, चरण 1 के दृष्टीकोन से संबोधित करने की आवश्यकता क्यो है?

By March 8, 2021December 20th, 2023No Comments
Photo credit: Mohammad Anas

8 फरवरी 2021 को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा केंद्रीय बजट 2021–22 प्रस्तुत किया गया. स्वास्थ्य सेवा और परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ी रकम, निजीकरण में वृद्धि और कर प्रस्तावों में बदलाव के साथ साथ उन्होंने ‘स्वच्छ भारत मिशन — शहरी 2.0 ‘ का एलान भी किया, जो की 2021–2026 से लागू होगा.

वर्ष 2020–21 में भारत के 9.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे तथा अगले वर्ष 2021–22 में इस घाटे को घटाकर 6.5 प्रतिशत करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को समानता और कुशलता से धन का आवंटन तथा उपयोग करना होगा। भविष्य में आगे बढ़ते हुए हम अपने अतीत से बोहोत कुछ सिख सकते है| प्रधान मंत्री ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान प्रारंभिक स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की थी। उस घोषणा के दो भाग थे — शहरी तथा ग्रामीण| ‘स्वच्छ भारत मिशन — शहरी’ के अंतर्गत सभी शहरी क्षेत्रों को ‘खुले में शौच’ मुक्त बनाने का वादा किया गया और मुंसिपल के ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक निपटान सुनिश्चित किया| इन्ही शहरी क्षेत्रों के अभियान की लिए 2014–2019 के लिए प्रारंभिक बजट आवंटन INR 14,623 करोड़ था।

2021–2026 के बीच शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के लिए कुल बजट आवंटन INR 1,41,678 करोड़ है। यह चरण 1 के लिए घोषित राशि का लगभग 10 गुना है।

यूथ फॉर यूनिटी एंड वॉलंटरी एक्शन (YUVA) की पार्लियामेंट्री वॉच रिपोर्ट, 2019 ने SBM-U चरण 1 के कार्यान्वयन का विश्लेषण किया और कई डेटा विसंगतियों और धन के मुद्दों को पाया, जिसकी वजह से चरण 2 के लिए बढ़े हुए बजट और इसका उपयोग के बारे में सवाल उठाता है|

चरण 1 में, आवंटित किए गए 14,623 करोड़ में से केवल 71 प्रतिशत को जारी किया गया और 2019 तक उस आवंटित राशि का केवल 44 प्रतिशत का उपयोग किया गया था। कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जारी किए गए धन का 50 प्रतिशत से भी कम का उपयोग किया था।हालांकि, इन अपर्याप्त फंडों के बावजूद, इस योजना के तहत अधिकांश घटकों ने अपने लक्ष्य हासिल करने का दावा किया है और उपर्युक्त राज्य और संघ राज्य क्षेत्र 100 प्रतिशत से अधिक प्रदर्शन दर प्रदर्शित कर रहे हैं।

SBM-U चरण 1 के कई उद्देश्यों में से एक उद्देश्य 1.04 करोड़ ‘व्यक्तिगत घरेलू शौचालय’ (IHHLs) बनाना था। इसी लक्ष्य को फिर फरवरी 2019 तक बदल कर 66.4 लाख तक कम किया गया और अक्टूबर 2019 में 54.71 लाख तक कम कर सफलता दर को 92 प्रतिशत से बढ़ाकर 106 प्रतिशत कर दिया गया। फरवरी और अक्टूबर के बीच, व्यक्तिगत राज्य के लक्ष्यों को भी संशोधन की आड़ में इस तरह बदला गया कि अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए लक्ष्य बढ़ जाये और वे राज्य जहा प्रदर्शन ख़राब रहा वहा लक्ष्य कम हो जाये, जिससे की समग्र औसत सकारात्मक प्रदर्शन दिखता रहे (रिपोर्ट से टेबल 3.1 देखें)| इसी कारण से IHHLs के निर्माण में 106 प्रतिशत सफलता दर है पर आवंटित धन का केवल 61 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है।

इन योजनाओं को लागू करते समय प्रभाव की तुलना में योजनाओ की छवि पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के मामले में भी, SBM-U चरण 1 में 111 प्रतिशत उपलब्धि दर दिखाई गई है, लेकिन 70 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण केवल 5 राज्यों में ही केंद्रित है| 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि अन्य 18 अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ रहे। इसी तरह, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट उद्देश्य के तहत, 275 वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट्स निर्माणाधीन हैं, लेकिन उनमें से लगभग 70 प्रतिशत 4 राज्यों में केंद्रित हैं, और यह 4 राज्य सबसे ज्यादा वेस्ट उत्पन्न करने वाले राज्यों की लिस्ट में भी नहीं आते| SBM-U चरण 2 में धन और प्रयासों के वितरण को संबोधित किया जाना चाहिए, ताकि इसे और अधिक न्यायसंगत और सही मायने में राष्ट्रीय योजना बनाया जा सके।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपोनेंट इस योजना का सबसे कम सफल हिस्सा था, जिसमें निर्माण की क्षमता केवल 58 प्रतिशत ठोस नगरपालिका कचरे को संसाधित करने की थी। इसलिए, चरण 2 का एक महत्वपूर्ण भाग ‘पूर्ण मल कीचड़ प्रबंधन और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट’ है। हालाँकि, चरण 1 में सॉलिड वेस्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए आवंटित धन का केवल 34 प्रतिशत का उपयोग किया गया था। रिपोर्ट की तालिका 3.4 एक प्रवृत्ति को दर्शाती है, जहां योजना के प्रत्येक घटक में धन का अवमूल्यन किया गया था, जिसके मुताबिक़ 5 में से 3 बार 50 प्रतिशत से कम धनराशि का उपयोग किया गया था।

चाहे चरण 2 के लिए बढ़ा हुआ बजट आवंटन, शहरी स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सरकार के इरादों पर जोर देता हो, लेकिन वास्तविक प्रभाव बनाने के लिए इसकी फंडिंग प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाने की आवश्यकता है। पुरानी धनराशि का समुचित उपयोग किए बिना किसी परियोजना में अधिक पैसा जोड़ना अप्रभावी है। धनराशि जारी करने में देरी या पांच साल की अवधि के अंत तक धनराशि जारी करने के कारण 2015–2016 में शून्य उपयोग, जैसे अन्य मुद्दों का सामना किया जाना चाहिए और चरण 2 में इनका समाधान किया जाना चाहिए।

चरण २ में व्यक्तिगत स्वच्छता से केंद्रित ध्यान हटाकर अन्य क्षेत्र जैसे ‘कचरा का स्रोत अलगाव, एकल-उपयोग प्लास्टिक में कमी, निर्माण-और-विध्वंस गतिविधियों और अपशिष्ट से जैव-विमुद्रीकरण से प्रभावी ढंग से अपशिष्ट का प्रबंधन करके वायु प्रदूषण में कमी’, पर ध्यान लगाया जा रहा है | माना कि लक्ष्यों का विस्तृत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन पिछले लक्ष्यों को हासिल करना तथा उनपे काम करते रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण होना चाहिए| नई योजना को चरण 1 में निर्धारित प्रारंभिक, अप्रकाशित लक्ष्यों को प्राप्त करने के तरीकों पर विचार करना चाहिए और साथ ही में अब तक बनाए गए नए बुनियादी ढांचे पर काम बनाए रखना चाहिए।

योजना के स्तर पर एक और मुद्दा यह भी है कि यह मिशन शहरी क्षेत्रों में किस किस की सेवा करेगा तथा किसकी नहीं| चरण 1 में, अनधिकृत कालोनियों को घरेलू शौचालयों की मांग का आकलन करते हुए बाहर रखा गया था। ये आम तौर पर कम आय वाले मोहल्ले हैं जहां उचित स्वच्छता की बहुत आवश्यकता है। राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाते समय वहां रहने वाले नागरिकों पर विचार नहीं करना अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण सा है। SBM-U चरण 2, जो कि पर्याप्त नए बजट द्वारा मजबूत हुआ है, प्रभावी और न्यायसंगत होना चाहिए और न केवल कागज पर बल्कि लोगों के जीवन में प्रगति करने पर केंद्रित होना चाहिए|

Translated by Yuvraj Singh Sisodia, Christ University, who is currently interning at YUVA. Read the original blog by Niyoshi Parekh, Brown University, in English here.

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